ये जीवन तनहा- तनहा सा
अनजाना सा अनचाहा सा
अनजाना सा अनचाहा सा
इक आस लगाये रखता है
मनमीत मिले कोई मन सा
क्यों ख्वाब सजाए रहता है
जो दिल में हैं वो हो सच सा ..ये जीवन
मनमीत मिले कोई मन सा
क्यों ख्वाब सजाए रहता है
जो दिल में हैं वो हो सच सा ..ये जीवन
इस जीवन में क्या हासिल है
ग़म, दर्द लगा बस चाहत सा
एक ग़ज़ल का बंद लिफाफा
मुझको लगता था ख़ुद सा ... ये जीवन
उम्मीद जगाये रहता हैं
जीवन हो जाये बेहतर सा
सबकुछ मिल जाये आखिर में
बस कुछ न लगे कमतर सा.. ये जीवन
सबको हासिल हो बस खुशियां
कोई ना गमख्वार रहे
ऐसा तो तब ही होगा जब
पल पल होगा जन्नत सा ...ये जीवन
सिया