लबों को सी के जो खामोश बने बैठे हैं
हम भी दीवाने हैं मदहोश बने बैठे हैं.
जिसको हम पर भरोसा अब नहीं कायम
उस एक शख्स हम आगोश बने बैठे हैं
प्यार क्या खाक करेंगे उन्हें तो होश नहीं
नज़र से पीते हैं मयनोश बने बैठे हैं
जानते हैं मुझे जलाते हैं तंज़ करते है
बात करना हो तो बेहोश बने बैठे हैं
जिनसे दिल नहीं मिलता "सिया" का
वो जुनूं में भी है पुरजोश बने बैठे हैं.
सिया
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