Friday 15 April 2011

सितारों झिलमिला जाओ


अँधेरी रात तारों तुम ज़रा सा झिलमिला जाओ 
मैं तन्हा हूँ मेरे पेहलू में तुम  ही मुस्कुरा जाओ 

तुम्हारी बेरुखी पे हम अगर रोये तो क़िस्मत है
तुम्हे हक़ है कभी आओ मेरा ये दिल जला जाओ 

ये आंसू है मेरे बारिश नहीं है आस्मां की ये 
अगर हो प्यार मुझसे तो कभी आकर मना जाओ 

मेरा हर गीत तुम्हारे अक्स का आईना है शायद 
मेरा नगमा भी है तन्हा तुम्ही आकर सुना जाओ

तुम्हारी  एक चुप्पी भी मुझे नागन सी डसती है 
अरे बोलो, ज़रा बोलो कोई तो गुल खिला जाओ 

दुआ में हो असर तो संग भी आखिर चटकते हैं 
"सिया" की इस दुआ में तुम असर बनकर ही आ जाओ 

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