अँधेरी रात तारों तुम ज़रा सा झिलमिला जाओ
मैं तन्हा हूँ मेरे पेहलू में तुम ही मुस्कुरा जाओ
तुम्हारी बेरुखी पे हम अगर रोये तो क़िस्मत है
तुम्हे हक़ है कभी आओ मेरा ये दिल जला जाओ
ये आंसू है मेरे बारिश नहीं है आस्मां की ये
अगर हो प्यार मुझसे तो कभी आकर मना जाओ
मेरा हर गीत तुम्हारे अक्स का आईना है शायद
मेरा नगमा भी है तन्हा तुम्ही आकर सुना जाओ
तुम्हारी एक चुप्पी भी मुझे नागन सी डसती है
अरे बोलो, ज़रा बोलो कोई तो गुल खिला जाओ
दुआ में हो असर तो संग भी आखिर चटकते हैं
"सिया" की इस दुआ में तुम असर बनकर ही आ जाओ
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