तू क्या चाहे कैसी उलझन
क्या हैं तेरे मन में आया सा
पहचान ज़रा की क्या हैं तू
क्यों वक़्त करे यूँ जाया सा
मैं चाहू एक ऐसा साथी
जो हो मेरा हमसाया सा
जो मेरे दिल को समझ सके
हो धुप में संग मेरे साया सा
मेरे सुख में हो जाये सुखी
मेरे ग़म से घबराया सा
हो साथ सिया जो वो ऐसा लगे
बिन मांगे ही सब पाया सा
क्या हैं तेरे मन में आया सा
पहचान ज़रा की क्या हैं तू
क्यों वक़्त करे यूँ जाया सा
मैं चाहू एक ऐसा साथी
जो हो मेरा हमसाया सा
जो मेरे दिल को समझ सके
हो धुप में संग मेरे साया सा
मेरे सुख में हो जाये सुखी
मेरे ग़म से घबराया सा
हो साथ सिया जो वो ऐसा लगे
बिन मांगे ही सब पाया सा
No comments:
Post a Comment