क्या हुआ माँ जो मैं बेटी हूँ ......
क्यों दिल ये तुमने हार दिया
क्यों अज़नमा मुझको मार दिया
इतना भी क्यों ना सोचा माँ
तू भी तो इक औरत हैं
क्यों ना दिखाई दुनिया मुझको
क्यों कोख को अपनी उजाड़ दिया
इक बेटी हे माँ का दुःख हरती
क्यों बेटी ही फिर कोख में मरती
इक लड़की ही हैं वंश बढ़ाती
फिर भी लोगो को लाज ना आती
बेटी माँ बाप का दर्द समझती
बेटे से वो बढ़ के वो निकलती
माँ क्यों ना ये तुने ध्यान किया
क्यों अजन्मा मुझको मार दिया
सिया
क्यों दिल ये तुमने हार दिया
क्यों अज़नमा मुझको मार दिया
इतना भी क्यों ना सोचा माँ
तू भी तो इक औरत हैं
क्यों ना दिखाई दुनिया मुझको
क्यों कोख को अपनी उजाड़ दिया
इक बेटी हे माँ का दुःख हरती
क्यों बेटी ही फिर कोख में मरती
इक लड़की ही हैं वंश बढ़ाती
फिर भी लोगो को लाज ना आती
बेटी माँ बाप का दर्द समझती
बेटे से वो बढ़ के वो निकलती
माँ क्यों ना ये तुने ध्यान किया
क्यों अजन्मा मुझको मार दिया
सिया
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