Tuesday 28 August 2012

शिद्दत ए ग़म में भी मुस्कुराया करो


सब्र को अपने यूं आज़माया करो 
शिद्दत ए ग़म में भी मुस्कुराया करो 

दूरियां सब दिलों की मिटाया करो 
तुम चराग़ ए मोहब्बत जलाया करो

धूप शोहरत की दो दिन में ढल जायेगी 
तुम मोहब्बत भी थोड़ी कमाया करो 

हम बुजुर्गों से सुन कर भी समझे नहीं 
दीन ए हक़ के लिए सर कटाया करो 

आइना तुमने देखा नहीं आज तक
उंगुलियां यूं न सब पर उठाया करो 

सर की टोपी ज़मीं पर गिरे एकदम 
इतना ऊँचा ना सर को उठाया करो

दफ़्न हैं मेरी आँखों में सपने कई 
ये कहानी न दिल को सुनाया करो 

अपनी मंज़िल को मुश्किल बना लो सिया 
राह में ख़ुद ही कांटे बिछाया करो 



Monday 27 August 2012

फूल बंजर ज़मीं में उगाया करो


गज़ल..........................................

अपनी ताक़त को यूं आज़माया करो
फूल बंजर ज़मीं में उगाया करो 

सब्र की बारिशों में नहाया करो 
अपने मक़सद को अपना बनाया करो 

ख़ुद ही मंज़िल चली आएगी सामने
 राह के पत्थरों को हटाया करो 

तुम किसी के हुए ही नहीं जब कभी 
फिर किसी को न अपना बनाया करो 

जब घनी छावं की है तमन्ना तो फिर
 पेड़ गमले में तुम मत लगाया करो 

बात का घाव भरता नहीं है कभी 
इस हक़ीक़त को तुम मत भुलाया करो 

हाकिम ए वक़्त ख़ुद कुछ भी करते नहीं
 सिर्फ़ कहते है हमसे रियाया करो 

धड़कने रक्स करती रहे देर तक 
इस तरह दिल में तुम आया जाया करो 

कोई कांटा चुभे भी तो चुभता रहे 
पावं मंज़िल की ज़ानिब बढाया करो 

रोशनी जिनसे सबको मिले है सिया
 दीप ऐसे जहां में जलाया करो

Sunday 26 August 2012

ऐ मेरे दिले -नादाँ , कुछ तुझ को खबर भी है |

कुछ लोगों की दुनिया में, फितरत ही ज़फा की है 
ऐ मेरे दिले -नादाँ , कुछ तुझ को खबर भी है |

हम अहले-वफ़ा की तो, हालत ही अजब सी है
है दिल में भी मायूसी, आँखों में नमी भी है |

हम दर्द के मारे हैं, जाएँ तो कहाँ जाएँ -
हालात मुखालिफ हैं,चलना भी जरुरी है

कुछ रोज़ की सोहबत ने, ये कैसा सितम ढाया
मजरूह तमन्ना है , अहसास भी ज़ख़्मी है |

जब ग़म से गुज़रती है, इंसां की समझदारी -
कुछ और सँवरती है, कुछ और निखरती है |

क्यूँ जुर्मे-वफ़ा की मैं, ता-उम्र सज़ा पाऊँ -
ऐसी कोई नादानी, मैंने तो नहीं की है |

फिर किसकी सिया मानू और किसकी न मानू मैं
अब ज़हन में और दिल में तकरार सी होती है

kuch logo ki duniya mein,fitrat hi jafa ki hai
aye mere dil e nadan,kuch tujhko khbar bhi hai

hum ahle -wafa ki to, haalat bhi ajab si hai
hai dil mein bhi mayusi ,aankho mein nami bhi hai

hum dard ke maare hai,jae'n to kahan jae'n
halaat mukhalif hai,chalna bhi jaruri hai

kuch roz ki sohbat ne,ye kaisa sitam dhaaya
mazrooh tamnna hai,ahsaas ki kami hai

jab gham se guzrati hai,insaan ki samjhdaari
kuch aur sanvarti hai,kuch aur nikhrati hai

kyun jurm e wafa ki main ta-umar saza paau
aisi koyi nadaani,maine to nahi ki hai

fir kiski siyaa maanoo'n aur kiski na maanoo'n main
Ab zhn men aur dil men takraar si hoti hai..

Saturday 18 August 2012

सज़दे बता रहे हैं मिरी बंदगी का राज़

मेरी इबादतों में छिपा है ख़ुशी का राज़ 
सज़दे बता रहे हैं मिरी बंदगी का राज़ 

ए रह _रवानी शौक़ संभल कर क़दम बढ़ा
तू जानता नहीं है अभी रहबरी का राज़

महसूस कर रही हूँ बदन की हरारतें
मैं जानती हूँ रूह की पाकीज़गी का राज़

जो हो सके तो ग़म में ख़ुशी को तलाश कर
मुमकिन है क़ह्क़हों में मिले ज़िन्दगी का राज़

दर दर भटक रही हैं जो मेरी मुसाफतें
मैं सोचती हूँ क्या है मेरी गुमरही का राज़

मिल कर किसी बुज़ुर्ग से महसूस ये हुआ
लम्हों में क़ैद हो गया जैसे सदी का राज़

किसको तलाश करती हैं बीनइयां मिरी
मुझ पर खुला नहीं है मेरी दीदनी का राज़

लोगो ने तेरा ग़म मेरे चेहरे से पढ़ लिया
महफूज़ रख न पाई 'सिया' आशिकी का राज़

miri ibadatoo'n mein chipa hai khushi ka raaz
sazde bata rahe hai'n meri bandagi ka raaz

A reh _rawaani shauq sambhal kar qadam badha
tu jaanta nahi hai abhi rehbari ka raaz

mehsus kar rahi hoon badan ki haraarate'n
main jaanti hoon rooh ki paqazagi ka raaz

jo ho sake to gham mein khushi ko talaash kar
mumqin hain qahqahoo'n mein mile zindgi ka raaz

dar dar bhatak rahi hain jo meri musafate'n
main sochti hoon kya hai meri gumrahee ka raaz

mil kar kisi bujurg se mehsus ye hua
lamho'n mein qaid ho gaya jaise sadi ka raaz

kisko talash karti hai'n beenaiyaa'n miri
mujh par khula nahi hai meri deedani ka raaz

logo ne tera gham mera chehre se padh liya
mehfuz rakh n paayi 'siya' aashiqi ka raaz

Friday 17 August 2012

मैं समझती हूँ खूब क्या हूँ मैं


देख लो मुझको आइना हूँ मैं 
होठ सी कर भी बोलता हूँ मैं 

आईने में नहीं हूँ मैं मौजूद
अस्ल क़िरदार से जुदा हूँ मैं 

हादसे क्या बुझायेगे मुझको 
एक उम्मीद का दिया हूँ मैं 

सच तो ये हैं की इस कहानी में 
इब्तिदा तू हैं इन्तेहाँ हूँ मैं 

सब मुझे ढूढने से है क़ासिर 
इक अजब शहरे_गुमशुदा हूँ मैं 

राह मंज़िल की जो दिखाता है 
उस मुसाफ़िर का नक्शे_प़ा हूँ मैं 

लोग कुछ भी कहे 'सिया' लेकिन 
मैं समझती हूँ खूब क्या हूँ मैं 

dekh le mujhko aaina hoon main 
hoth see kar bhi bolta hoon main 

aaine mein nahi hoon main mojood 
asl kirdaar se juda hoon main 

hadse kya bhujayege mujhko 
ek umeed ka diya hoon main 

sach to yeh hai ke is kahani mein 
ibteda too hai intehaan  hoon main 

sab mujhe dhudhne se hai qasir 
ik ajab shahre gumshuda hoon main 

raah manzil ki jo dikhata hai
us musafir ka nakshe _paa hoon main 

log kuch bhi kahe siya lekin
main samjhti hoon khoob kya hoon main ..................

Thursday 16 August 2012

मेरी शराफ़त ने सब्र का फिर मुझे पिलाया है जाम साहिब


किसी अदू से भी ले न पाई किसी तरह इंतेक़ाम साहिब
 मेरी शराफ़त ने सब्र का फिर मुझे पिलाया है जाम  साहिब 

जो आग दिल में सुलग रही है वो मेरे लहजे में ढल ना जाये 
ये ज़िन्दगी बन गयी हैं धोका, हुआ हैं जीना हराम  साहिब 

ये बेरुखी की जो इन्तेहाँ है, तेरी खमोशी का सिलसिला है 
मैं जाँ से आजिज़ सी आ गयी हूँ ये ज़िन्दगी है तमाम  साहिब 

वहीं कनखियों से देखकर भी न देख पाने का ढोंग करना 
इसी अदा ने बना लिया है मुझे भी उसका गुलाम  साहिब 

मैं अपने जीवन की सारी खुशियाँ निसार करती उसी पे लेकिन
 कभी वो मुझपे भी गौर करता,कहीं पे भी एक शाम  साहिब 

मैं दश्ते हिजरत में जाने कब से, भटक रही हूँ उसी तलब में
 सिया अभी तक मिला नहीं है मुझे मोहब्बत का जाम  साहिब .........................................

Tuesday 14 August 2012

लम्हों में क़ैद हो गया जैसे सदी का राज़


मेरी इबादतों में छिपा है ख़ुशी का राज़ 
सज़दे बता रहे हैं मिरी बंदगी का राज़ 

ए  रह _रवाने शौक़ संभल  कर क़दम बढ़ा 
तू जानता नहीं है अभी रहबरी का राज़ 

महसूस कर रही हूँ बदन की हरारतें 
मैं जानती हूँ रूह की पाकीज़गी का राज़ 

जो हो सके तो ग़म में ख़ुशी को तलाश कर 
मुमकिन है क़ह्क़हों में मिले ज़िन्दगी का राज़ 

दरदर भटक रही हैं जो मेरी मुसाफतें 
मैं सोचती हूँ क्या है मेरी गुमरही का राज़ 

मिल कर किसी बुज़ुर्ग से महसूस ये हुआ 
लम्हों में क़ैद हो गया जैसे सदी का राज़ 

किसको तलाश करती हैं बीनइयां मिरी 
मुझ पर खुला नहीं है मेरी दीदनी का राज़ 

लोगो ने तेरा ग़म मेरे चेहरे से पढ़ लिया 
महफूज़ रख न पाई 'सिया' आशिकी का राज़ 

miri  ibadatoo'n mein chipa hai khushi ka raaz 
sazde bata rahe hai'n meri bandagi ka raaz 

A reh _rawaane shauq sambhal kar qadam badha 
tu jaanta nahi hai abhi rehbari ka raaz 

mehsus kar rahi hoon badan ki haraarate'n
main jaanti hoon rooh ki paqazagi ka raaz 

jo ho sake to gham mein khushi ko talaash kar 
mumqin hain qahqahoo'n mein mile zindgi ka raaz 

dar dar bhatak rahi hain jo meri musafate'n
main sochti hoon kya hai meri gumrahee ka raaz 

mil kasr kisi bujurg se mehsus ye hua 
lamho'n mein qaid ho gaya jaise sadi ka raaz 

kisko talash karti hai'n beenaiyaa'n miri 
mujh par khula nahi hai meri deedani ka raaz 

logo ne tera gham mera chehre se padh liya 
mehfuz rakh n paayi 'siya' aashiqi ka raaz 

Monday 13 August 2012

उस मानव का विश्व में , होता है सत्कार.


अपनी गलती जो सदा, करता है स्वीकार.
उस मानव का विश्व में , होता है सत्कार.

त्राहि त्राहि करने लगी जनता चीख पुकार 
इतनी भीषण हो गयी, मंहगाई की मार

हिम्मत कहती है सदा,कभी न मानो हार,
दुःख के परबत को तभी, कर सकते हो पार 

सावन आया झूम के रिमझिम पड़ी फुहार 
धरती भी करने लगी ख़ुद अपना सिंगार 

डाली पर झूला पड़ा ,झूल रहे नर नार 
झूम रहे धरती गगन , झूम रहा संसार 

बिटिया आई मायके मगन हुआ परिवार 
जितने दिन बिटिया रहे उतने दिन त्यौहार 

मैं मूरख निर्गुण रही , मन में रहा विकार
लोभ वासना में तुझे,मैंने दिया बिसार

सच्चे मन से ए सिया, जप तू यदि करतार
तुझ पर खुल ही जायेगे, सद्बुद्धि के द्वार

Thursday 9 August 2012

Naat-e-Paak ............



SHAREEYAT HAI WAHI ,JO BHI TAREEQA THA MOHAMMAD KA
THI SARI ZINDAGI JAISE IK AAYENA MOHAMMAD KA

ISI BAYIS LAQAB HAI AAPKA KUD RAHMAT_E_AALAM.
MOHABBAT HI MOHABBAT HAI FAQAT FIRQA MOHAMMAD KA..

UTARE HI NAHIN IKHLAQ KE ZEWAR KABHI JISNE .
MISALI HAI WAHI KIRDAR THA AISA MOHAMMAD KA..

MALAYAK KYA BASHAR KYA JINN KYA DONO HI AALAM MEIN
JISE BHI DEKHIYE WO HO GAYA SHAIDA MOHAMMAD KA ..

DIL-O-JAA,N BAN GAYE HAI,N RAHGUZAR JISKI SADA SUNKAR.
KHUDA KI DEEN THA MAKHSOOS WO LAHEJA MOHAMMAD KA ..

MASAYAB SE BHARI YE ZINDGI AASAN KARNA HAI.
TO AANKHE,N KHOOL KAR TUM DEKH LO RASTA MOHAMMAD KA ..

TALAB JANNAT KI POORI HO NAHIN SAKTI "SIYA"SUN LO.
AGAR DEKHA NAHIN HAI TUMNE DARWAZA MOHAMMAD KA .

आँखों से मगर अश्क बहाना भी नहीं हैं


एहसास के ज़ख्मों को छिपाना भी नहीं हैं
आँखों से मगर अश्क बहाना भी नहीं हैं

अल्फाज़ की हुरमत कहीं तामाल ना कर दे
 तनक़ीद निगारों का ठिकाना भी नहीं हैं

हंसती हुई आँखों में छिपे दर्द को पढ़ ले 
इतना तो कोई शहर में दाना भी नहीं हैं 

बन जाए भला कैसे अभी तारिक ए दुनिया 
दुनिया को अभी ठीक से जाना भी नहीं हैं 

सच्चाई की ख़ातिर जो उठाते थे मुसीबत 
वो लोग नहीं अब वो ज़माना भी नहीं हैं 

हर सम्त नज़र आती है तस्वीर तुम्हारी
 इस घर में कोई आइना खाना भी नहीं हैं 

हासिल अगर होती है तू ईमान गवां कर 
इस शर्त पे दुनिया तुझे पाना भी नहीं हैं .....

ehsaas ke zakhmo'n ko chipana bhi nahi hai'n
 aankho se magar ashq bahana bhi nahi hai'n 

alfaaz ki hurmat kaheen taamaal n karde 
tanqeed nigaaro'n ka thikaana bhi nahi hai'n 

hasti hui aankho mein chipe dard ko padh le
 itna to koyi shahar mein daana bhi nahi hai'n 

ban jaye bhala kaise abhi tarik_e_duniya 
duniya ko abhi theek se jaana bhi nahi hai'n

sachchyi ki khatir jo uthaate the musibat 
wo log nahi ab wo zamaana bhi nahi hai'n 

har samt nazar aati hai tasveer tumahari
is ghar mein koyi aaina khana bhi nahi hai'n 

haasil agar hoti hai tu imaan gava'n kar
 is shart pe duniya tujhe paana bhi nahi hai'n 
..................................................................

माँ मेरे सर पे दुआओं भरा आँचल कर दे


मसअला दिल का है मिल जुल के इसे हल कर दे 
या मेरी बात समझ या मुझे क़ायल कर दे 

ये मेरा शहर मोहब्बत की अलामत था कभी
 अब ये नफ़रत का चलन मुझको न पागल कर दे 

आरजुओं का गला घोंट के रह जाती हूँ 
ए ख़ुदा जो भी मसाइल हैं उन्हें हल कर दे 

मुझको दुनिया की कड़ी धूप न छू पाएगी 
माँ मेरे सर पे दुआओं भरा आँचल कर दे 

वादिये दिल में कई रोज़ से सन्नाटा है 
कोई तूफ़ा तो उट्ठा कोई तो हलचल कर दे

ए सितमगर ये तिरी सुर्खुरू होने की हवस 
कहीं ऐसा न करे शहर को मक़तल कर दे 

मन के आँगन में तुझे देख के खुश हूँ मैं सिया 
सारी दुनिया को मेरी आँखों से ओझल कर दे

mas'ala dil ka hai mil jul ke ise hal kar de 
ya meri baat samajh ya mujhe qayal kar de 

ye mera shaher mohabbat ki alamat tha kabhi,
ab ye nafrat ka chalan mujhko na pagal kar de,

aarzuo'n ka gala ghont ke rah jaati hoon 
aye khuda jo bhi masail hain uneh hal kar de 

mujhko duniya ki kadi dhoop na chu payegi 
maa mere sar pe duaon bhara anchal kar de

vadiye dil mein kayi roj e sannata hai
koyi tufaa'n to uttha koyi to halchal kar de '

aye sitamgar ye tiri surkhuru hone ki havas 
kaheen aisa n kare shahar ko maqtal kar de 

man ke aangan mein tujhe dekh ke khush hoon main siya
sari duniya ko meri aankh se ojhal kar de 

..

Tuesday 7 August 2012

वक़्त और हालात के मारो की भीड़


खानकाहों  में तलबगारों की भीड़ 
वक़्त और हालात के मारो की भीड़ 

मैं भी ज़िन्दा  हूँ अदब के शहर में
मुझसे मिलती है कलमकारों की भीड़ 

एक  भी सच्ची ख़बर मिलती नहीं 
शहर में यूं तो हैं अख़बारों की भीड़ 

कुछ नहीं बदला हमारे मुल्क में 
रोज़ बढ़ जाती हैं बेकारों की भीड़ 

देखिये तो मस्जिदों में आजकल 
ख़ूब है अल्लाह के प्यारो की भीड़ 

है हमारे शहर में चारो तरफ 
दस्तकारों और फ़नकारों की भीड़ 

ख़ाक का पैबंद हैं अब देखिये 
कल तलक़ तो थी जमींदारों की भीड़ 

हर ताल्लुक़ बिक रहा हैं अब यहाँ  
घर में दर आई है बाजारों की भीड़ 

मुझपे जब हमला हुआ तो ए सिया 
खा गयी उसको तरफदारों की भीड़ 

khanqaho'n mein talabgaaro'n ki bheed 
waqt aur halaato'n ke maro'n ki bheed 

main bhi jinda hoon adab ke shahar mein 
mujhse milti hai  kalamkaro ki bheed 

ak bhi sachchi khabar milti nahi 
shahar mein yoon to hai akhbaaro'n ki bheed 

kuch nahi badla hamaare mulq mein 
roj badh jaati hai bekaaro ki bheed 

dekhiye to aajkal maszido'n mein aajkal 
khoob hai Allah ke pyaaroo ki bheed 

hai hamare shahar mein charo taraf 
dastkaaro'n aur fankaaro.n ki bheed 

khaaq ka paiband hain ab dekhiye 
kal talaq to thi jameendaaro'n ki bheed 

har ta'aaluq bik raha hai ab yahan 
ghar mein dar aayi hai bazaro.n ki bheed 

mujhpe jab hamla hua to aye siya 
kha gayi usko tarafdaroo.n ki bheed 

बन्दे,फिर हो जाएगी हर मुश्किल आसान

दोहे .....

सबका मालिक एक हैं कर ले इतना ध्यान 
बन्दे,फिर हो जाएगी हर मुश्किल आसान

दिल की धरती में हुए अश्क प्रेम की खाद 
सारे झगड़े मिट गए खत्म हुए प्रतिवाद 

फ़ैल गया है देश में इतना भ्रष्टाचार 
दूषित है हर आत्मा दूषित हुवे विचार 

जो माने ख़ुद को बड़ा करता है अभिमान
उसको मिलता ही नहीं दुनिया में सम्मान

आँखों आँखों में हुआ दोनों का संवाद
धड़कन ने बढ़ कर किया फिर उसका अनुवाद