गज़ल..........................................
अपनी ताक़त को यूं आज़माया करो
फूल बंजर ज़मीं में उगाया करो
सब्र की बारिशों में नहाया करो
अपने मक़सद को अपना बनाया करो
ख़ुद ही मंज़िल चली आएगी सामने
राह के पत्थरों को हटाया करो
तुम किसी के हुए ही नहीं जब कभी
फिर किसी को न अपना बनाया करो
जब घनी छावं की है तमन्ना तो फिर
पेड़ गमले में तुम मत लगाया करो
बात का घाव भरता नहीं है कभी
इस हक़ीक़त को तुम मत भुलाया करो
हाकिम ए वक़्त ख़ुद कुछ भी करते नहीं
सिर्फ़ कहते है हमसे रियाया करो
धड़कने रक्स करती रहे देर तक
इस तरह दिल में तुम आया जाया करो
कोई कांटा चुभे भी तो चुभता रहे
पावं मंज़िल की ज़ानिब बढाया करो
रोशनी जिनसे सबको मिले है सिया
दीप ऐसे जहां में जलाया करो
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