Thursday 31 March 2011

मन की घुटन

मेरे बदनसीब साये ..मेरे साथ साथ आये
उसे रास ही ना आया ज़रा हम जो मुस्कुराये

इस दर्दे दिल को मेरे कहीं चैन ही न आया
जीते जी हम जहां में आख़िर गए जलाए

तुमने जफ़ाएं की हैं हमने वफ़ा निभायी
देता है ज़हर भी और तोहमत भी वो लगाए

तुम चाहते हो हमदम हम ख़ुद ही टूट जाएँ
दिल की भी हो तुम्हारे और आंच भी न आये

अब सांस-सांस भारी, दिल में अजब घुटन है
हम तो "सिया" जिए हैं अपने ही ग़म उठाये

सिया

कितने हैं ये प्यारे फूल

एक चमन में सारे फ़ूल
कितने हैं ये प्यारे फ़ूल

रोज़ ही आते,रोज़ ही जाते
होते हैं बंजारे फ़ूल

लूटने आया जब जब कोई
बन बैठे अंगारे फ़ूल

जीवन की हर बाज़ी खेली
शर्त कोई न हारे फ़ूल

सबकी आख़िर ख्वाहिश इतनी
ख़ुश्बू, चाँद, सितारे  फ़ूल

दौलत की न हसरत कोई
यार "सिया" को प्यारे फ़ूल 

Wednesday 30 March 2011

जो न  घुटते यूँ ही अरमान  बहुत अच्छा था
तुमको कह पाते जो हर बात बहुत अच्छा था

मेरी आँखों से ना बहते ये सावन बन कर
लब तलक आते ये जज़्बात  बहुत अच्छा था
दबी कुचली आरजू को कोई साहिल ना मिला
होती चाहत की जो  बरसात बहुत अच्छा था

यू  तो मिलते हैं कई लोग राह में  अक्सर
जो ना मतलब का हो वो साथ बहुत अच्छा था

मैंने चाहा की जीयूं  जब तलक ख़ुशी ही बाटूँ
ऐसे होते मेरे हालात  बहुत अच्छा था

कोई अपना जो  अगर दूर हो  कभी  दिल से
किसी बेगाने का इक हाथ  बहुत अच्छा था
अब ये मुमकिन नहीं की दूर रहे हम उनसे
जिंदगी भर का हो जो  साथ बहुत अच्छा था

Tuesday 29 March 2011

टूटकर बिखरी सहेली सी मिली
ज़िन्दगी मुझको अकेली सी मिली

आपकी बातों में अक्सर ही मुझे
सारी बातें बस पहेली सी मिली

क्या किसी गुलशन से होकर आये हो
खुशबूएं जानिब चमेली सी मिली

याद अपना दौर मुझको आ गया
जब कोई दुल्हन नवेली सी मिली

है "सिया' लखनऊ की पैदाइश मगर
ज़िन्दगी उसको बरेली सी मिली

Sunday 27 March 2011

dil ki baat


दिल की बात ज़बां तक लाना, ये भी अच्छी बात नहीं
प्यार में लेकिन चुप रह जाना, ये भी अच्छी बात नहीं.

दुनिया में तो रंग कई हैं, रंग कोई इक चुन भी ले
अपने दिल को यूँ तरसाना, ये भी अच्छी बात नहीं

दिन तो हर एक पहर में रात ही रंगीं होती है
शाम ढले यूँ घर को जाना, ये भी अच्छी बात नहीं

बात कोई गर दिल में हो तो, अपनों से कुछ बोल भी दो
मन ही मन यूँ घुटते जाना, ये भी अच्छी बात नहीं

आग तो आख़िर आग "सिया" है, खाक़ सभो कुछ करती है
ऐसी आग में ख़ुद जल जाना, ये भी अच्छी बात नहीं

Friday 25 March 2011

तू बनकर रहनुमा ज़रा जलवा दिखा दे
जो भटके हैं जहां में उन्हें राहों पे ला दे

कोई ताक़त के दम से डराए ना किसी को
ज़रा धनवान के दिल में भी रहम बसा  दे

धरम ईमान कायम दिलों में हो सभी के
तेरे मेरे का भेद हर दिल से मिटा दे

यहां इंसान हरपल फ़क़त घुटता ही देखा
उसे तू दे सहारा ख़ुशी उसको दिला दे

"सिया" हालात अब तो बुरे कितने हुए 
मिटा नफरत दिलों से मोहब्बत  बसा दे 











सिया 

Wednesday 23 March 2011

ग़ज़ल

नश्तरों से निबाह मुश्किल हैं 
अब मोहब्बत की राह मुश्किल हैं

कैसे देखूं मैं ज़िंदगी तुझको 
रात काली सियाह  मुश्किल हैं

यूं तो हर शय मिली अक्सर
इक तेरी पनाह मुश्किल हैं 

यूँ  तो दुनिया ने मेरा साथ दिया
एक उसकी सलाह मुश्किल है  

अब "सिया" ज़िन्दगी के साथ चलो 
उनकी हम पर निगाह, मुश्किल है










सिया


Monday 21 March 2011

ग़ज़ल

आँख से आंसू बह जाते हैं
लेकिन सबकुछ कह जाते हैं

जो दुनिया को राह दिखाएं

वो ही तनहा रह जाते हैं

प्यार किया है आखिर उससे

जुल्म भी उसके सह जाते हैं

शब के सन्नाटे का आलम

ख्वाब भी डर कर रह जाते हैं

पाएंगे क्या खाक  किनारा

जो पानी में बह जाते हैं

मोती उनको ही मिलते हैं

जो सागर की तह जाते हैं

हमने बस इक तुझको माँगा

आज "सिया" से कह जाते हैं





 सिया












Friday 18 March 2011

मैंनू  कल्या ना रैन देण यादा तेरियां
नाले हंजुआ दे नाल भिजण अखां मेरियां

सारी रात  खडी मैं  ता तारया नू वेखी जावां
ताने मारे मेनू मेरी सखियाँ सहेलियां                            

तेरे नाल मेरी सारी रौनका ते खुशियाँ 
आज पेइयाँ  सूनियाँ  ने  मेरियां हवेलियाँ

टूर गया सावन  मुक्के बागान   विच फूल वे                           
कल्ले  रुल  गयी सई जान ना वे दूरियां 

बिन  तेरे  चन्ना  मेरी  रातां अन्धेरियाँ 
मैंनू  कल्या ना रैन देण यादा तेरियां

                          
सिया

Wednesday 16 March 2011

गीत

इस जीवन का हल ढूँढो तो बात बने 
कुछ खुशियों के पल ढूँढो तो बात बने

आज के हर लम्हे को जीना आसां है 
आज में अपना कल ढूँढो तो बात बने 

जीवन तो एक रेत का दरिया है आखिर 
इसमें मीठा जल ढूँढो तो बात बने

बरस के जो इस आग को ठंडा कर डाले 
इक ऐसा बादल ढूँढो तो बात बने 

जिसने हर मुश्किल को आसां का डाला 
उस माथे का बल ढूँढो तो बात बने 

एक "सिया " तो तनहा तनहा रहती है 
एक "सिया" चंचल ढूँढो तो बात बने

सिया
















Tuesday 15 March 2011

आपकी नज़र

अगर तुम हुस्न चाहो तो
मेरे चेहरे पे मत जाओ
कि चेहरे बुझ  भी जाते हैं
मेरी नज़रों को मत देखो
नज़र धुंधला भी जाती है
सुर्खिये-लब भी मत देखो
कि रंग ये उड़ भी जाते है

अगर जो देखना है तो
मेरे दिल में ज़रा झांको
मेरे भीतर जो इन्सां है
वो सबसे खूबसूरत है
कि जिसमें दर्द है सबका
कि जिसमें बस मुहब्बत है

सिया

Sunday 13 March 2011

ग़ज़ल


कहाँ तक गर्दिशें पीछा करेंगी
न होंगे हम तो फिर ये क्या करेंगी

क्या कोई राह में लूटा गया है
हवाएं हर गली पूछा करेंगी

हमारी उम्र तूफानों में गुज़री
ये मौजें अब हमारा क्या करेंगी

हसीं हो जाएँगी ग़ज़लें हमारी
ख़यालों में तेरे खोया करेंगी

भुलाकर आपको जीना है मुश्किल
सदायें आपकी पीछा करेंगी

परेशां आप हो जाओगे जब भी
ये जुल्फें हैं मेरी साया करेंगी

"सिया" क्यूं राह नग्मों की ये आख़िर
मुसाफ़िर का पता पूछा करेंगी

सिया

Friday 11 March 2011

ग़ज़ल

आपकी आँखों में जितने ख़्वाब हैं
हमनफ़स हैं, वो मेरे एहबाब हैं  

शौक  है दुनिया बदलने का उन्हें 
देखिये तो किस कदर बेताब हैं 

आप तो बस इक लहर से डर गए
इस समन्दर में कई  सैलाब हैं 

पैरवी तुम ही मुहब्बत की करो 
पास मेरे जंग के असबाब हैं

एक शायर कह रह है इन दिनों 
फ़ूल दामन में "सिया" नायाब हैं 

सिया 

Wednesday 9 March 2011

औरत



औरत को काँटों का बिस्तर अक्सर चढ़ना  पड़ता है 
मन ही मन अरमान हज़ारों लेकिन घुटना पड़ता है 


कब समझेगा कोई आख़िर उसके मन की भाषा को 
काश समझ लो मन ही मन क्यूं उसको रोना पड़ता है 


दिल में इक औरत के अक्सर प्यार,वफ़ा,जज्बात भी हैं 
लेकिन उसको अपने दिल का राज़ भी कहना पड़ता है


माना मैंने  हिस्से के मैं सुख-दुःख आख़िर भोग चुकी 
एक नयी सी भोर भी होगी, वक़्त को मुड़ना पड़ता है 


तुने तो करली कुर्बानी, अपने आंसू पोंछ भी ले 
देख "सिया" को आंसू से ये दामन धोना पड़ता है 


सिया

Tuesday 8 March 2011

ग़ज़ल

हरेक मोड़ पर रहनुमा था, सही था 
मेरी ज़िन्दगी में जो इक अजनबी था.

उसी करम से मैं कायम हूँ  अब भी 
वरना तो  मेरा भरोसा नहीं था 

तसव्वुर उसी का मेरी ज़िन्दगी है
अभी दिल की जानिब यहीं तो कहीं था

उसके बिना क्या बताऊँ मैं तुमको
मेरा लम्हा-लम्हा तो जैसे सदी था

हरेक शक्ल उसकी बहुत ही हसीं थी
कभी था वो नश्तर, कभी वो कली था 

"सिया' उसकी नज़रों में जादू है माना
मेरा हो गया वो जो कल अजनबी था.


सिया 

Monday 7 March 2011

गीत


ज़िन्दगी के इस सफ़र में जब कभी घबराओगे
देख लेना साथ अपने बस हमें ही पाओगे.

कामयाबी आपके क़दमों तले जब जब रहे
बस ये बोलो आप हमको भूल तो न जाओगे

तुम कभी टूटे अगर तो, जी नहीं पाएंगे हम
तुम क्या जानो कौन हो तुम, जान ही न पाओगे

जां निकल जायेगी मेरी,ग़मज़दा गर तुम हुए
आँख से तुम आंसुओं को अब नहीं छल्काओगे

बस यही इक ख्वाब अक्सर देखती हूँ मैं सनम 
तुम मेरी उलझी हुई जुल्फें कभी सुल्झाओगे


आपकी बस इक सदा की राह तकती है "सिया"
वस्ल की इन खुशबुओं से कब मुझे महकाओगे

सिया

Friday 4 March 2011

अपनी बेटी के जन्मदिन पर विशेष


मुझे आज लाडो बड़ी याद आये 
वो गोदी में खेली परी याद आये 

बड़े प्यार से अपनी मीठी जुबां से 
मेरी मां, मेरी मां  जो कहके बुलाये

लगा के उसे अपने सीने  से मैंने 
बाहों में अपनी हैं झूले झुलाए 

माथे पे टीका  भी  काला लगाया
परी को किसी की नज़र लग न जाए 

हसीन एक सौगात जीवन की तू है 
साया दुखों का न तुझको सताए 

तेरा अक्स मेरी निगाहों में हरदम 
मेरा रब तुझी में नज़र मुझको आये

"सिया" हूँ , मेरी जान मां हूँ मैं तेरी
बैठी हूँ आ जा मैं पलकें बिछाए 


सिया  

Thursday 3 March 2011

गीत इक प्यार का गाओ. तो कोई बात बने
ज़रा सा दिल में समाओ. तो कोई बात बने

ये ज़िन्दगी है, इसमें तो ग़म ही ग़म हरसू
ख़ुशी की बात को लाओ, तो कोई बात बने 

हसीन रुत में जुदाई की बात क्यूं हमदम
मिलन के ख़्वाब सजाओ, तो कोई बात बने

दिलों  के साज़ पे छेड़ें नई ग़ज़ल कोई 
करीब मेरे जो आओ, तो कोई बात बने 

बहोत उदास फ़िज़ाए हैं ऐ सनम तुम बिन 
सिया का साथ निभाओ, तो कोई बात बने 


सिया 

Tuesday 1 March 2011

मेरी आरज़ू

आओ कि ज़िन्दगी को बेहतर ज़रा बनाएं 
सब रंजिशे मिटा कर सबको गले लगाएं


हैं चार दिन का जीना क्यों ना जिए ख़ुशी से
मिल जुल के क्यों ना ऐसा प्यारा जहाँ बसाएं

वो सब गिले वो  शिकवे तुमको रहे किसी से
आओ कि  फिर से मिलके हम उनको भूल जाएं 


दुनिया में क्या रखा है, यारो सिवा वफ़ा के 
हर दुश्मनी मिटा के सबको वफ़ा सिखाएं 


फूलों के जैसी खुशबू , इंसानियत में महके 
हम आये हैं जहां में  कुछ करके भी दिखाएं

करना हैं इस जहां में तो कुछ ऐसा काम करलें 
दुनिया में लोग तुझको "सिया" भूल ही न पायें   


सिया