कहाँ तक गर्दिशें पीछा करेंगी
न होंगे हम तो फिर ये क्या करेंगी
क्या कोई राह में लूटा गया है
हवाएं हर गली पूछा करेंगी
हमारी उम्र तूफानों में गुज़री
ये मौजें अब हमारा क्या करेंगी
हसीं हो जाएँगी ग़ज़लें हमारी
ख़यालों में तेरे खोया करेंगी
भुलाकर आपको जीना है मुश्किल
सदायें आपकी पीछा करेंगी
परेशां आप हो जाओगे जब भी
ये जुल्फें हैं मेरी साया करेंगी
"सिया" क्यूं राह नग्मों की ये आख़िर
मुसाफ़िर का पता पूछा करेंगी
सिया
No comments:
Post a Comment