आँख से आंसू बह जाते हैं
लेकिन सबकुछ कह जाते हैं
जो दुनिया को राह दिखाएं
वो ही तनहा रह जाते हैं
प्यार किया है आखिर उससे
जुल्म भी उसके सह जाते हैं
शब के सन्नाटे का आलम
ख्वाब भी डर कर रह जाते हैं
पाएंगे क्या खाक किनारा
जो पानी में बह जाते हैं
मोती उनको ही मिलते हैं
जो सागर की तह जाते हैं
हमने बस इक तुझको माँगा
आज "सिया" से कह जाते हैं
लेकिन सबकुछ कह जाते हैं
जो दुनिया को राह दिखाएं
वो ही तनहा रह जाते हैं
प्यार किया है आखिर उससे
जुल्म भी उसके सह जाते हैं
शब के सन्नाटे का आलम
ख्वाब भी डर कर रह जाते हैं
पाएंगे क्या खाक किनारा
जो पानी में बह जाते हैं
मोती उनको ही मिलते हैं
जो सागर की तह जाते हैं
हमने बस इक तुझको माँगा
आज "सिया" से कह जाते हैं
सिया
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