Sunday 27 March 2011

dil ki baat


दिल की बात ज़बां तक लाना, ये भी अच्छी बात नहीं
प्यार में लेकिन चुप रह जाना, ये भी अच्छी बात नहीं.

दुनिया में तो रंग कई हैं, रंग कोई इक चुन भी ले
अपने दिल को यूँ तरसाना, ये भी अच्छी बात नहीं

दिन तो हर एक पहर में रात ही रंगीं होती है
शाम ढले यूँ घर को जाना, ये भी अच्छी बात नहीं

बात कोई गर दिल में हो तो, अपनों से कुछ बोल भी दो
मन ही मन यूँ घुटते जाना, ये भी अच्छी बात नहीं

आग तो आख़िर आग "सिया" है, खाक़ सभो कुछ करती है
ऐसी आग में ख़ुद जल जाना, ये भी अच्छी बात नहीं

No comments:

Post a Comment