घर से बाहर अब निकलना है हमें
रुख हवाओं का बदलना है हमें
हमको ये अर्श रास आता नहीं
इस ज़मीन पर ही चलना है हमें
मंजिलो पर भी जरुरी है नज़र
रहगुज़र पर भी संभालना है हमें
बस दिलों में वफ़ा रहे कायम
वफ़ा की शम्मा सा जलना है हमें
रहे -दुनिया है बर्फ की मानिंद
चलते जाना, ना फिसलना है हमें
गर कोई राह दुश्मनी की दिखाए
उस बुराई को जड़ से कुचलना है हमें
हम भी सूरज की तरह अक्सर सिया
भूल जाते है की ढलना हैं हमे
हम भी सूरज की तरह अक्सर सिया
ReplyDeleteभूल जाते है की ढलना हैं हमे
bahut khub siyaa ji
suraj se judi ek line surya bhanu ji ki yaad aa rahi hai
hum to suraj hai sard mulko ke
mood hota hai to nikalte hai
आज मै पहली बार आपके ब्लाग पर आया हूं। वाकई बहुत अच्छा लगा।
ReplyDeleteमंजिलो पर भी जरुरी है नज़र
रहगुज़र पर भी संभालना है हमें
बस दिलों में वफ़ा रहे कायम
वफ़ा की शम्मा सा जलना है हमें
बहुत सुंदर.
हम भी सूरज की तरह अक्सर सिया
ReplyDeleteभूल जाते है की ढलना हैं हमे
waah..badhiya gazal kahi hai ..