सीख हुनर चेहरा पढने का
नज़र से जानो दिल की बात
काबिल तो वो कहलाता है
जिसने ना खायी हो मात
नेक कर्म होते है जिसके
उसकी ही है ऊँची जात
चाह नहीं दौलत शोहरत की
बस मांगे अपनों का साथ
कड़ी धूप में छावं की जैसे
मेरे सर पे माँ का हाथ
सुख दुःख आते जाते रहते
दिन आएगा बीते रात
siya
नज़र से जानो दिल की बात
काबिल तो वो कहलाता है
जिसने ना खायी हो मात
नेक कर्म होते है जिसके
उसकी ही है ऊँची जात
चाह नहीं दौलत शोहरत की
बस मांगे अपनों का साथ
कड़ी धूप में छावं की जैसे
मेरे सर पे माँ का हाथ
सुख दुःख आते जाते रहते
दिन आएगा बीते रात
siya
क्या कहना, बहुत सुंदर
ReplyDeleteमां मेरे गुनाहो को कुछ इस तरह से धो देती है,
जब वो बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है।।
कड़ी धूप में छावं की जैसे
ReplyDeleteमेरे सर पे माँ का हाथ
bahut sunder, Maa aisi hi hoti hai ......badhai