Thursday 22 March 2018

किस से करूँ शिकायतें किस का गिला करूँ।

किस से करूँ शिकायतें किस का गिला करूँ।
अपने ही जब हो जान के दुश्मन तो क्या करूँ।
दुनिया की क्या मजाल थी कुछ कह सके मुझे
अपने. ही जब ख़िलाफ़ हो तो फिर मैं क्या करूँ
ये आरज़ा तो जान के ही साथ जाएगा
ए ज़िंदगी बता मैं कहाँ तक दवा करूँ
तनक़ीद क्या करूँ मैं किसी और शख़्स की
बेहतर है अपनी ज़ात पर ख़ुद तब्सरा करूँ
जिसको मेरी उदासियाँ लगती हैं नागवार
मैं उसके सामने न हँसू गर तो क्या करूँ
आबाद जिसके दम से सिया है ये ज़िंदगी
मैं उसको भूल जाने की कैसे दुआ करूँ
सिया सचदेव

No comments:

Post a Comment