Thursday 22 March 2018

हौसले जब भी दिल में पलते हैं

हौसले जब भी दिल में पलते हैं
कुछ नए रास्ते निकलते हैं
तंज ख़ुद ही कर लिया जाए
आइये ज़ाएका बदलते हैं
आँधियाँ जो दिए जलाती है
वो दिए ज़ुल्मतों को खलते हैं
वो ही हैं कामयाब दुनिया में
वक़्त के साथ जो बदलते हैं
मेरे बच्चे ज़हीन हैं इतने
ये खिलौनों से कब बहलते हैं
अब ये दुनिया फरेब लगती है
आज कल घर से कम निकलते हैं
ऐसे रिश्तों को क्या सहेजे हम
जो बुरे वक़्त पे बदलते हैं
आईना देखकर हो क्यूँ हैराँ
एक दिन रूप रंग ढलते हैं
घर से निकले तो बस यहीं सोचा
हादसे साथ साथ चलते हैं
चापलूसों की जिंदगी मत पूछ
भीख की रोटियों पे पलते हैं
क्यूँ हैं इंसान में हसद इतनी
लेके नफरत क्यूँ दिल में जलते हैं
Siya Sachdev

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