Wednesday 17 June 2015

उदास रहने का ढूँढा नया बहाना फिर

पड़ा है भारी बहुत  दिल का ये लगाना फिर
उदास रहने का ढूँढा नया बहाना फिर 

किसी के वास्ते थोड़ा सा मुस्कुराना फिर 
बनेगा दर्द का ये दिल मेरा निशाना फिर 

फ़िर आज अपना ताल्लुक़ किसी से ख़त्म हुआ 
लो हमसे जीत गया आज ये ज़माना फिर 

कुछ और देर अभी उसका  इंतज़ार करो 
वो  आयेगा तो ये  मैयत मेरी उठाना फिर 

गुज़र के कौन गया हैं ये सामने से अभी 
दिखा गया है मुझे ख़्वाब  इक पुराना फिर 

तेरे  मिज़ाज की तब्दीलियाँ अरे तौबा 
वो दो घडी को हँसा कर तेरा रुलाना फिर 

कुछ और देर अभी उसका  इंतज़ार करो 
वो  आयेगा तो ये  मैयत मेरी उठाना फिर 

6 comments:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 18 - 06 - 2015 को चर्चा मंच पर नंगी क्या नहाएगी और क्या निचोड़ेगी { चर्चा - 2010 } पर दिया जाएगा
    धन्यवाद

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  2. शानदार ग़ज़ल लिखी है आपने. दिल को छू गया.
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.
    http://iwillrocknow.blogspot.in/

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  3. गुज़र के कौन गया हैं ये सामने से अभी
    दिखा गया है मुझे ख़्वाब इक पुराना फिर...वाह, बहुत खूब लि‍खा

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  4. सुन्दर ग़ज़ल , बेहतरीन अभिब्यक्ति , मन को छूने बाली पँक्तियाँ

    कभी इधर भी पधारें

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  5. कह दी क्या अच्छी गज़ल फ़िर :)

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