पड़ा है भारी बहुत दिल का ये लगाना फिर
उदास रहने का ढूँढा नया बहाना फिर
उदास रहने का ढूँढा नया बहाना फिर
किसी के वास्ते थोड़ा सा मुस्कुराना फिर
बनेगा दर्द का ये दिल मेरा निशाना फिर
फ़िर आज अपना ताल्लुक़ किसी से ख़त्म हुआ
लो हमसे जीत गया आज ये ज़माना फिर
कुछ और देर अभी उसका इंतज़ार करो
वो आयेगा तो ये मैयत मेरी उठाना फिर
गुज़र के कौन गया हैं ये सामने से अभी
दिखा गया है मुझे ख़्वाब इक पुराना फिर
तेरे मिज़ाज की तब्दीलियाँ अरे तौबा
वो दो घडी को हँसा कर तेरा रुलाना फिर
कुछ और देर अभी उसका इंतज़ार करो
वो आयेगा तो ये मैयत मेरी उठाना फिर
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 18 - 06 - 2015 को चर्चा मंच पर नंगी क्या नहाएगी और क्या निचोड़ेगी { चर्चा - 2010 } पर दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
शानदार ग़ज़ल लिखी है आपने. दिल को छू गया.
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.
http://iwillrocknow.blogspot.in/
गुज़र के कौन गया हैं ये सामने से अभी
ReplyDeleteदिखा गया है मुझे ख़्वाब इक पुराना फिर...वाह, बहुत खूब लिखा
सुन्दर ग़ज़ल , बेहतरीन अभिब्यक्ति , मन को छूने बाली पँक्तियाँ
ReplyDeleteकभी इधर भी पधारें
bhtrin gzl
ReplyDeleteकह दी क्या अच्छी गज़ल फ़िर :)
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