वो तो दुनिया से जुदा लगता है
खुद में खोया हुआ सा लगता है
खुद में खोया हुआ सा लगता है
चलने लगती है जब भी सर्द हवा
जिस्म तब टूटने सा लगता है
जिस्म तब टूटने सा लगता है
ख्वाइशें तो बहुत सी हैं लेकिन
वक़्त कुछ बेवफा सा लगता है
वक़्त कुछ बेवफा सा लगता है
कितनी दुश्वारियाँ हैं राहों में
घर से निकले तो पता लगता है
घर से निकले तो पता लगता है
ज़र्फ़ हैं उसका कितने पानी में
जब वो बोले तो पता लगता है,
जब वो बोले तो पता लगता है,
ऐब बस ढूँढ़ते हो तुम मुझमें
और हर शख़्स भला लगता है
और हर शख़्स भला लगता है
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