मुझको यूँहीं भरम नहीं होता
उसकी बातो में दम नहीं होता
उसकी बातो में दम नहीं होता
कितने खुदगर्ज़ ओ बेमुरव्वत हो
तुमको एहसास ग़म नहीं होता
तुमको एहसास ग़म नहीं होता
दिल तो पत्थर का हो गया तेरा
मेरे अश्क़ों से नम नहीं होता
मेरे अश्क़ों से नम नहीं होता
दिल तो छलनी किया है अपनों ने
इतना ग़ैरों में दम नहीं होता
इतना ग़ैरों में दम नहीं होता
इसका कोई ईलाज है तो बता
दर्द दिल का ये कम नहीं होता
दर्द दिल का ये कम नहीं होता
No comments:
Post a Comment