Monday 4 May 2015

रिश्ते नातों का हैं एहतराम आज भी

देखिये मेरे भारत में आकर ज़रा
रिश्ते नातों का हैं एहतराम आज भी
लाख पश्चिम की उलटी हवाएँ चले
मेरे भारत का ऊँचा है नाम आज भी

है पिता के लिए दिल में आदर बड़ा
माँ को देते है ऊँचा मक़ाम आज भी

सीख इंसानियत की वो बच्चो को दे
माँ ऊपर ये जिम्मा ये काम आज भी

अपने मेहमान को देवता मान कर
हँस के करते सब इंतज़ाम आज भी 

प्यार बाँटा है हमने सदा दोस्तों
है मोहब्बत से सबको सलाम आज भी
भूल जाते है पल भर में शिकवे गिले
प्यार से कोई कर लें गुलाम आज भी
प्रेम का रिश्ता पावन हमारे लिए
पूजे जाए यहाँ राधा श्याम आज भी।   

ग़म छुपाने का आता है हमको हुनर
हंसके करते है सबसे कलाम आज भी

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