ये तो रब ही जाने है किसने किसको बर्बाद किया
बेमानी इस रिश्ते से मैंने तुमको आज़ाद किया
तिनका तिनका चुन कर मैंने ख़्वाब-नगर को जोड़ा था
इक पल में तूने आखिर कैसे इसको बर्बाद किया
मेरे गुलशन की वीरानी खून के आंसू रोती है
गुलचीं । तूने माली बनकर खूब सितम ईजाद किया
ख़ुद के साथ कभी इक पल को भी मैं न जी पायी थी
मैं ने तो तेरे जीवन का हर लम्हा आबाद किया
मुझको जब मालूम थी तेरी फ़ितरत तेरी सच्चाई
फिर भी तेरी यादों ने क्यों हर लम्हा नाशाद किया
भूखी नंगी खुशियों पे इतराना मेरा काम नहीं
अपनी छोटी सी दुनिया को ग़म से ही आबाद किया
ऐसे में क्या कीजे कुछ मालूम नहीं पड़ता दिल को
जितना तुझको भूलना चाहा उतना दिल ने याद किया
क्या कमिया क्या ख़ामी है बस यहीं ढूढ़ते हो मुझ में
नया- तरीका रोज़ रुलाने का मुझको ईज़ाद किया
मेरी फुरक़त मेरी तन्हाई पे तेरा क़ब्ज़ा हैं
तेरे दर्द ओ ग़म की दौलत से ही दिल को शाद किया
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