तेरी यादों का जब लश्कर गया है
मेरे एहसास ज़ख़्मी कर गया है
मेरी आँखों में छाई हैं उदासी
कोई सपना अचानक मर गया है
नमी आँखों की जाती ही नहीं है
तेरा ग़म दिल में ही घर कर गया है
कोई सतही चुभन लगती नहीं ये
ये कांटा रूह के अंदर गया है
मुझे रास आयी न दुनिया फ़रेबी
वफ़ाओं से मेरा दिल डर गया है
कोई ताजा हवा का एक झोंका
मेरे एहसास को छूकर गया है
गुनाहों पर पड़ा है तेरे पर्दा
हर इक इल्ज़ाम मेरे सर गया है
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