शाम का मंज़र जब बोझिल सा होता है
दिल मेरा क्यूँ दर्द में डूबा होता है
दुनिया दारी की इन झूठी रस्मो से
अक्सर इंसानो को धोखा होता है
मर्ज़ी के आज़ाद जवाँ बच्चो सुन लो
बूढी आँखों में भी सपना होता है
जो रिश्ते एहसास से ख़ाली होते हैं
उन रिश्तों को भी तो ढोना होता है
दूर तीरगी करता है जो बस्ती की
उस दीपक के तले अँधेरा होता है
नज़रे बद से ख़ुदा बचाये बच्चों को
रोज़ यहाँ पर एक हादसा होता है
याद किया जाता हैं उनको सदियों तक
जिनका नाम अदब में लिक्खा होता है
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