Thursday 2 April 2015

दुनिया करें हैं जीना दुश्वार कैसे कैसे

मैं क्या कहूँ, हैं दिल पर आज़ार कैसे कैसे
दुनिया करे हैं जीना दुश्वार कैसे कैसे
किस पर करें भरोसा,और किस की बात मानें
मिलते हैं हर क़दम पर ,मक्कार कैसे कैसे
रिश्तों की अहमियत का कुछ पास ही नहीं है
होते हैं ज़ेहनीयत के बीमार कैसे कैसे
फितरत में बेहयाई जिनकी रची बसी हैं
ईमान से है ख़ारिज अय्यार कैसे कैसे
दुनिया की क्या बताये तुमको फ़रेबकारी
होते हैं आदमीयत पे वार कैसे कैसे
नादान थे जो उनकी बातों में आ गए थे
यादों में हैं वो लम्हे दुश्वार कैसे कैसे
siya

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