Monday 9 March 2015

ख़ुदा से बंदे यहीं दुआ कर


सभी का दुनिया में तू भला कर
ख़ुदा से  बंदे यहीं दुआ कर
 

पयाम अम्न ओ अमान दे कर 
अगर है इंसा तो हक़ अदा कर

करू मैं कब तक तेरी हिफाज़त
तू अपनी मंज़िल का खुद पता कर

गले तलक़ आ गया है पानी
तू आज कोई तो फैसला कर

ये धूप ग़म की जला रही है
हवा के रुख का ज़रा पता कर

ये साँस चलती हैं तेरी जब तक
तू ज़िंदगी से यूँहीं लड़ा कर

भले ही दुनिया खिलाफ होगी
तू सच से लेकिन नहीं डरा कर

हैं उसकी आँखे उदास कितनी
करे वो एहसान मुस्कुरा कर

किसे दूँ इलज़ाम ए बेवफाई
किसी कहूँ मैं के तू वफ़ा कर

उसे भी देती हूँ मैं दुआऐं
चला गया जो ये दिल दुखा कर

भला किसी का न कर सके तो
कभी किसी का भी मत बुरा कर

नज़र में जिसकी चुभे उजाले
चला गया वो दिए बुझा कर

No comments:

Post a Comment