आज की नारी है तू करले स्वयं अपना उद्धार
अपने हक़ को पाना तेरा जन्म सिद्ध अधिकार
अपने हक़ को पाना तेरा जन्म सिद्ध अधिकार
धरती जैसी सहनशीलता मत मानो आधार
मत चुप रहना ,और न करना जुल्म कभी स्वीकार
मत चुप रहना ,और न करना जुल्म कभी स्वीकार
क़दम क़दम पर होता आया तुझ पर अत्याचार
रोज़ कहीें लुटती है अस्मत, कहीं पड़े दुत्काार
रोज़ कहीें लुटती है अस्मत, कहीं पड़े दुत्काार
वक़्त पड़े तो दुर्गा,काली का लेकर अवतार
जग से पाप मिटा दे,कर दे दुष्टो का संहार
जग से पाप मिटा दे,कर दे दुष्टो का संहार
तू शक्ति है तू भक्ति है कर ले ये स्वीकार
तेरे सती धर्म के आगे यम ने मानी हार
तेरे सती धर्म के आगे यम ने मानी हार
कहीं गर्भ में जन्म से पहले दी जाती है मार
अपने घर में होता तुझसे दुश्मन सा व्यवहार
अपने घर में होता तुझसे दुश्मन सा व्यवहार
पत्नी ,बहन ,कभी माँ ,बेटी बन कर देती प्यार
गर नारी न होती तो कैसे चलता संसार
गर नारी न होती तो कैसे चलता संसार
सिया
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