आके मुझको जो हौसला देगा
आग को फिर वही हवा देगा
कौन सा काम कब किया जाए
वक़्त हमको ये खुद सिखा देगा
रौशनी की ज़रा सी चाहत में
मेरी दुनिया ही वो जला देगा
फिर से आकर मेरे ख्यालों में
आग सीने में वो लगा देगा
आज ये छोड़ दी तमन्ना भी
मेरी चाहत का वो सिला देगा
ऐब अपने नहीं वो देखेगा
आईने में कमी बता देगा
मेरे होठो से नोच कर ख़ुशियाँ
मुस्कुराने की फिर सजा देगा
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