पत्ते शजर के सब्ज थे जो ज़र्द हो गए
रिश्ते लहू के आज सभी सर्द हो गये
क्या आज कोई काम उन्हें हमसे पड़ गया
दुश्मन हमारे किस लिए हमदर्द गए
मासूम बच्चियों को निशाना बना लिया
और ये समझ रहे के हम मर्द हो गए
औरत में ढूँढें त्याग, दया, सहनशीलता
औरत के नाम सारे ये दुःख दर्द हो गए
राहे वफ़ा में किसको मिली मंज़िले सिया
कितने ही राही रास्ते की गर्द हो गए
रिश्ते लहू के आज सभी सर्द हो गये
क्या आज कोई काम उन्हें हमसे पड़ गया
दुश्मन हमारे किस लिए हमदर्द गए
मासूम बच्चियों को निशाना बना लिया
और ये समझ रहे के हम मर्द हो गए
औरत में ढूँढें त्याग, दया, सहनशीलता
औरत के नाम सारे ये दुःख दर्द हो गए
राहे वफ़ा में किसको मिली मंज़िले सिया
कितने ही राही रास्ते की गर्द हो गए
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 19 - 03 - 2015 को चर्चा मंच की चर्चा - 1922 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
सिया जी , बहुत ही सुन्दर। .
ReplyDeleteपत्ते शजर के सब्ज थे जो ज़र्द हो गए
रिश्ते लहू के आज सभी सर्द हो गये