Tuesday, 17 March 2015

रिश्ते लहू के आज सभी सर्द हो गये


पत्ते शजर के सब्ज थे जो ज़र्द  हो गए 
रिश्ते लहू के आज सभी सर्द हो गये

क्या आज कोई काम उन्हें हमसे पड़ गया
दुश्मन हमारे किस लिए हमदर्द गए 

मासूम बच्चियों को निशाना बना लिया 
और ये समझ रहे के हम  मर्द हो गए 

औरत में ढूँढें  त्याग, दया, सहनशीलता 
औरत के नाम सारे ये दुःख  दर्द हो गए 

राहे वफ़ा में किसको मिली मंज़िले सिया 
कितने ही राही रास्ते की गर्द हो  गए

2 comments:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 19 - 03 - 2015 को चर्चा मंच की चर्चा - 1922 में दिया जाएगा
    धन्यवाद

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  2. सिया जी , बहुत ही सुन्दर। .
    पत्ते शजर के सब्ज थे जो ज़र्द हो गए
    रिश्ते लहू के आज सभी सर्द हो गये

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