अपने दृढ़ निश्चय से आगे बढ़ते जायें
छोटी-मोटी बाधाओं से क्यूँ घबरायें
जो अपनाते दूजे का दुःख और वेदना
सच्चे अर्थों में वो ही मानव कहलाये
खो जाना मायूस न होकर अंधियारों में
बन कर दीपक स्वयं अंधरें दूर भगाये
निखरी हुई कल्पनाओं के पंख लगाकर
खुले आसमानो में पंछी उड़ते जायें
छोटी-मोटी बाधाओं से क्यूँ घबरायें
जो अपनाते दूजे का दुःख और वेदना
सच्चे अर्थों में वो ही मानव कहलाये
खो जाना मायूस न होकर अंधियारों में
बन कर दीपक स्वयं अंधरें दूर भगाये
निखरी हुई कल्पनाओं के पंख लगाकर
खुले आसमानो में पंछी उड़ते जायें
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