बीते साल ने छीना मुझसे वीर मेरा वो मेरा भाई
लगता है हर जानिब मेरे फैल गयी मेरी तन्हाई
वक़्त अचानक बदल गया है उम्र लगी है सहसा ढलने
हाँ कहने को अपने रिश्ते भाषा इनकी लगे परायी
इतने दुःख और ज़ख्म लगे है रूह तलक है छलनी छलनी
जीवन तक कम पड़ जाएगा होगी ना दुःख की भरपाई
तन्हाई ही तन्हाई है आगे पीछे बस तन्हाई
लगता है हर जानिब मेरे फैल गयी मेरी तन्हाई
वक़्त अचानक बदल गया है उम्र लगी है सहसा ढलने
हाँ कहने को अपने रिश्ते भाषा इनकी लगे परायी
इतने दुःख और ज़ख्म लगे है रूह तलक है छलनी छलनी
जीवन तक कम पड़ जाएगा होगी ना दुःख की भरपाई
तन्हाई ही तन्हाई है आगे पीछे बस तन्हाई
क्या ऐसे रिश्ते होते हैं ? आँखे मिर्चों से धोते हैं
बेचैनी की सेज बिछाकर तंज़ भरे काँटे बोते हैं
हार गयी इज़्ज़त की ख़ातिर चुप चुप हूँ ग़ैरत की ख़ातिर
सब्र खड़ा है सर निहुड़ाये वरना फैलेगी रुसवाई
तन्हाई ही तन्हाई है आगे पीछे बस तन्हाई
बेचैनी की सेज बिछाकर तंज़ भरे काँटे बोते हैं
हार गयी इज़्ज़त की ख़ातिर चुप चुप हूँ ग़ैरत की ख़ातिर
सब्र खड़ा है सर निहुड़ाये वरना फैलेगी रुसवाई
तन्हाई ही तन्हाई है आगे पीछे बस तन्हाई
उंगली पकड़ने वाले हाथ भी अब तो अंजाने लगते हैं
दुनिया जिन्हें मेरा कहती है वोह सब बेगाने लगते हैं
सबकी अपनी अपनी दुनिया सबके अपने अपने क़िस्से
सब के कान हुए है बहरे अपना दर्द कहूँ मैं किस से
बचपन में माँ बाप थे बिछड़े और जवानी में ये भाई
तन्हाई ही तन्हाई है आगे पीछे बस तन्हाई
दुनिया जिन्हें मेरा कहती है वोह सब बेगाने लगते हैं
सबकी अपनी अपनी दुनिया सबके अपने अपने क़िस्से
सब के कान हुए है बहरे अपना दर्द कहूँ मैं किस से
बचपन में माँ बाप थे बिछड़े और जवानी में ये भाई
तन्हाई ही तन्हाई है आगे पीछे बस तन्हाई
कैसा दिसंबर जनवरी कैसी जीवन मिला है सो है जीना
अपना भी अब होश कहाँ है गुज़र रहा है साल महीना
इतना अरसा बीत चूका है कब बदला ये समय हरजाई
सायों से बस भरी हुई है नहीं दिलो में ज़रा समायी
तन्हाई ही तन्हाई है आगे पीछे बस तन्हाई
अपना भी अब होश कहाँ है गुज़र रहा है साल महीना
इतना अरसा बीत चूका है कब बदला ये समय हरजाई
सायों से बस भरी हुई है नहीं दिलो में ज़रा समायी
तन्हाई ही तन्हाई है आगे पीछे बस तन्हाई
siya
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