Friday, 7 November 2014

gurunanak ji par kahe dohe

तृप्ता कालू राय की ऐसी ये सन्तान।
करने आये थे यहां ,इस जग का कल्याण।
मैं बाबा मूरख रही ,कैसे करूँ बखान।
तेरी महिमा का बयाँ ,कैसे करे ज़बान।
नारी का तुमने कहा ,सदा करो सम्मान।
सो क्यों मन्दा आखिये ,जिस जम्मे राजान।
वर्ण भेद या ज़ात पर ,क्यों करता अभिमान।
मानस अपने कर्म से ,होता सदा महान।
कल युग में तुमने किया ,गुरुनानक कल्याण।
सबको तुम देते रहे ,सत मारग का ज्ञान।
कर्म कांड पाखण्ड से ,दूर रहो नादान।
तरना है सन्सार ते। गाओ प्रभु के गान।
सबका मालिक एक है ,सब उसकी सन्तान।
नानक की वाणी यही ,सब हैं एक समान।...

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