मैं तेरे दर्द की दुनिया बहाल रखती हूँ
छुपा के दिल ही में रंज ओ मलाल रखती हूँ
हज़ार तल्ख़ियाँ शामिल रही मगर फिर भी
भुला के ख़ुद को मैं तेरा ख़्याल रखती हूँ
सबब तो ऐसा नहीं कोई खास भी लेकिन
मैं अपने ज़ब्त को क़सदन निढाल रखती हूँ
ज़मीर ओ ज़ात मेरी ज़ुल्म के मुक़ाबिल हैं
मैं अपने आप में इतनी मजाल रखती हूँ
सिया ये मुझपे हुआ है मेरे ख़ुदा का करम
मैं शेरगोई में थोड़ा कमाल रखती हूँ
main tere dard ki duniya bahaal rakhti hoon
chupa ke dil hi mein ranj-o malal rakhti hoon..
Hazaar talkhiyan shamil rahi magar phir bhi
Bhula ke khud ko main tera khayaal rakhti hoon
sabab to aisa koyi khas bhi nahi lekin
main apne zabt ko qasdan nidhal rakhti hoon
zameer o zaat meri zulm ke muqabil hain
main apne aaap mein inti majaal rakhti hoon
siya ye mujh pe hua hai mere khuda ka karam
main shergoyi mein thoda kamaal rakhti hoon
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 6-11-2014 को चर्चा मंच पर चर्चा - 1789 में दिया गया है
ReplyDeleteआभार
आप की इस खूबशूरत ग़ज़ल को पेश है एक छोटा सा नज़राना
ReplyDeleteअपनी खामोशिओं में जब्ते-नाल रखता हूँ
तेरी खुशबू तेरा हुश्ने जमाल रखता हूँ
तेरी दोशीजगी हमें जीने नहीं देती
और मैं हूँ के जीने का मज़ाल रखता हूँ
खस्तातनों से हाले - दिल न पूछिए
दिल में जीने का माल-ओ-मनाल रखता हूँ
जिश्म में तमाम जख्म मुस्कुराते हैं
औ ज़िगर में मैं तेरा ख्याल रखता हूँ
तू न कर खून-ए-दिल-हसरत -ए आज
चाक दामन में आरजू-ए-कमाल रखता हूँ
मुन्तिजर बैठे हैं के फ़लक पे महताब उभरे
दस्त -ए-तनहाई में हौशलों का माल रखता हूँ
बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल .... लाजवाब ...
ReplyDeleteWaah...gazab ki gazal... Main aapki tareef ka beshak mazaal rakhti hun .... aadarniye Jaunpuri ki aapki gazal sone par suhaga gai.. Lajawab !!! Aabhar
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