वो इक दीवाना सा लड़का
ये किससे प्यार कर बैठा
नहीं सोचा कभी उसने
किसी की वो अमानत है
किसी के घर की इज़्ज़त है
समझता क्यों नहीं है वो
नहीं मुमकिन ये चाहत है
ये रस्मों से बग़ावत है
ये किससे प्यार कर बैठा
नहीं सोचा कभी उसने
किसी की वो अमानत है
किसी के घर की इज़्ज़त है
समझता क्यों नहीं है वो
नहीं मुमकिन ये चाहत है
ये रस्मों से बग़ावत है
क्यूँ अपना दिल दुखाता है
उसे पहरों मनाता है
परस्तिश उसकी करता है
क्यों उसको प्यार करता है
उसी को सोचता है क्यों
उसी को चाहता है क्यों
क्यों करता है वो नादानी
किसी की एक ना मानी
उसे पहरों मनाता है
परस्तिश उसकी करता है
क्यों उसको प्यार करता है
उसी को सोचता है क्यों
उसी को चाहता है क्यों
क्यों करता है वो नादानी
किसी की एक ना मानी
वो जिसका पाक दामन है
परेशान है वो हैरां है
वो बेबस कह नहीं पाती
तेरा दुःख सह नहीं पाती
किसी की राह में कांटे
कभी वो बो नहीं सकती
बस इतना तुम समझ लेना
तुम्हारी हो नहीं सकती
परेशान है वो हैरां है
वो बेबस कह नहीं पाती
तेरा दुःख सह नहीं पाती
किसी की राह में कांटे
कभी वो बो नहीं सकती
बस इतना तुम समझ लेना
तुम्हारी हो नहीं सकती
nazm''----Mohabbat ye Adhuri hai
wo ik dewana sa ladka
ye kise pyaar kar baitha
nahi socha kabhi usne
kisi ki wo amanat hai
kisi ke ghar ki izzat hai
samjhta kyun nahi hai wo
nahi mumkin ye chahat hai
ye rasmo'n se -Bagawat hai
ye kise pyaar kar baitha
nahi socha kabhi usne
kisi ki wo amanat hai
kisi ke ghar ki izzat hai
samjhta kyun nahi hai wo
nahi mumkin ye chahat hai
ye rasmo'n se -Bagawat hai
kyun apna dil dukhta hai
use pahro'n manata hai
Parastish uski Karta hai
kyun usko Pyar Karta hai
Usi ko sochta hai kyun
usi ko chahta hai kyun
kyun karta hai wo nadaani
kisi ki ek na maani
use pahro'n manata hai
Parastish uski Karta hai
kyun usko Pyar Karta hai
Usi ko sochta hai kyun
usi ko chahta hai kyun
kyun karta hai wo nadaani
kisi ki ek na maani
wo jiska Pak-daaman hai
pareshan hai wo hairan hai
wo Be-Bas kah nahi paati
tera dukh sah nahi paati
kisi ki raah mein kante
kabhi wo bo nahi sakti
bus itna tum samjh lena
tumahari ho nahi sakti
pareshan hai wo hairan hai
wo Be-Bas kah nahi paati
tera dukh sah nahi paati
kisi ki raah mein kante
kabhi wo bo nahi sakti
bus itna tum samjh lena
tumahari ho nahi sakti
siya sachdev
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