Wednesday, 22 October 2014

ख़ौफ़ तीरगी से है क़ैद हैं उजालों में

खोये खोये रहते हैं जाने किन ख्यालों में 
ख़ौफ़ तीरगी से है क़ैद हैं  उजालों में 

क्या अजब तरीक़ा है उनकी गुफ़्तगू में भी 
तंज़ चुभता रहता है आपके सवालों में 

आपको नहीं फुर्सत याद भी हमें कीजे 
हम भी क्यों रहे ग़ाफ़िल आपके ख्यालों में 

आप हो कभी रुसवा ये तो हम न चाहेंगे 
बंद कर के रक्खेंगे हम ज़ुबाँ को तालों में 

क्या किसी ने दिल का भी हाल उनके जाना है 
जिनको सिर्फ देखा है रेशमी दुशालों में 

दूसरों की ख़ातिर जो ज़िंदगी बिताते हैं 
नाम उनका लेते हैं लोग भी मिसालों में 


khoye khoye rahte hai jaane kin khayalon mein
khauf teergi se hai, qaid hain ujalon mein 

kya ajab tareqa hai unki guftgu mein bhi 
tanz chubhta rahta hai aapke sawalon mein

 aapko nahi fursat yaad bhi hame'n keeje 
Ham bhi kyun rahe'n ghafil , aapke khayalon mein.

aap ho'n kabhi rusva ye to ham na chaehnge 
band kar ke rakhenge ab zubaa'n  ko talon mein.

kya kisi ne dil ka bhi haal unke jana hai 
jinko sirf dekha hai reshmi dushalon mein.

Dusro Ki Khatir jo zindgi bitatae hain 
naam unka lete hain log bhi misalon mein.



1 comment:

  1. आपकी इस प्रस्तुति की चर्चा 23-10-2014 को चर्चा मंच पर चर्चा - 1775 में दिया गया है
    आभार ।

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