मुझ पे हँसने की ज़माने को सज़ा दी जाये
मैं बहुत खुश हूँ ये अफ़वाह उड़ा दी जाये
शोर शहरों में बहुत है सुने कोई भी तो क्या
जाके सन्नाटों को सहरा में सदा दी जाये
मेरे ख़त उसने जला डाले चलो अच्छा हुआ
मेरी हर एक निशानी भी मिटा दी जाये
मसअला जितना है बात उसपे भी बस उतनी हो
क्या ज़रूरी है की हर बात बढ़ा दी जाए
इसको अखलाक़ भी कहते हैं रवादारी भी
जो भी दिल तोड़े सिया उसको दुआ दी जाए
Mujh.pe hansne ki zamaane ko saza di jaaye
Main bahut khush hu'n ye afwaah uda di jaaye
Shor shahro'n me bahut hai sune koi bhi to kya.
Jaake sannato'n ko sahra me'n sada di jaae
Mere khat us ne jala daale chalo achchha hua
Meri.har ek nishani bhi mita di jaaye
Mas'ala jitna ho baat uspe bhi bus utni ho
Kya zuroori hai ki har baat badha di jaaye
isko akhlaq bhi kahte hai rawadaari bhi
jo bhi dil tode 'siya' usko dua di jaaye
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'जी आपके इन उत्साहवर्धक शब्दों को सादर अभिनन्दन ! आपके शब्द लेखनी को बल देते हैं . सादर आभार अभिव्यक्त करती हूँ सादर नमन
ReplyDeleteसुशील कुमार जोशी जी धन्यवाद और आभार आपकी सराहना और स्नेह के लिए सादर नमन
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