Saturday, 9 August 2014

आपकी नज़रों से पढ़ लेती हूँ सूरत आपकी

ग़म भुला कर मुस्कुरा देना है आदत आपकी
आपकी नज़रों से पढ़ लेती हूँ सूरत आपकी

ज़िंदगी में हर क़दम पर है ज़रूरत आपकी 
मेरे दिल पे  हो गयी है अब हुक़ूमत आपकी 

आपको मरक़ज़ में रख कर आँखें करती हैं तवाफ़ 
इस तरह करती रही हूँ मैं इबादत आपकी

आप जितना भी छुपाना चाहे छुप सकता नहीं 
आप का ये हाल करता है वज़ाहत आपकी 

आपको मासूमियत और सादगी से क्या मिला 
जान ले लेगी किसी दिन ये शराफ़त आपकी 

आपका आज़ुर्दा  होना कब गँवारा था हमें 
कैसे देखें ये बताये ऐसी हालत आपकी 

शक्ल ए इंसान में फ़रिश्ता पा लिया मैंने सिया
बस गयी हर एक धड़कन में अक़ीदत आपकी  ..

gham bhulakar muskra dena hai aadat aapki 
aapki nazro'n se padh leti hoon surat aapki 

zindagi mein har qadam par hai zarurat aapki 
mere dil pe ho gayi hai ab huqumat aapki 

aapko marqaz mein rakh kar aankhen karti hai tawaf
is tarha karti rahi hoon main ibadat aapki 

”Aap jitna bhi chupana chahe'n  chup sakta nahi'n 
aapka ye haal karta hai wazahat aapki 

aapko masumiyat aur sadgi se kya mila 
jaan le legi kisi din ye shrafat aapki 

aapka  aazurda hona kab ganwara tha hame'n 
kaise dekhe'n  ye bataye aisi haalat aapki 

shakl e insaan mein farishta pa liya maine siya 
bas gayi har ek dhadkan mein aqeedat aapki 

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