Sunday, 10 August 2014

माज़ी से अपने रोशनी पाते रहेंगे हम



तारीकी ए हयात मिटाते रहेंगे हम
माज़ी से अपने रोशनी पाते रहेंगे हम 

ज़ख़्मों से जिस्म ओ जाँ को सजाते रहेंगे हम
ता - उम्र तेरे नाज़ उठाते रहेंगे हम

सौदाइयों को तेरे कोई शग़ल चाहिए 
तेरी गली में ख़ाक़ उड़ाते रहेंगे हम 

शायद हमारे हाल पे आये उन्हें तरस 
रूदाद ए ग़म उन्ही को सुनाते रहेंगे हम 

भाता नहीं तुम्हारा खफ़ा होना हर घडी 
कब तक बताओ तुमको मनाते रहेंगे हम 

नफरत का दौर दे न सकेगा कभी शिकस्त 
इंसानियत का पाठ पढ़ाते रहेंगे हम 

 तनहा गुज़र गया सिया मौसम बहार का 
यादों में उनकी अश्क़ बहाते रहेंगे हम 

Taareeki-e-hayaat mitaate rahenge hum 
maazi se apne roshni paate rahenge hum

zakhmo'n se jism o jaa.n ko sajate rahenge ham
 ta -umr tere  naaz  uthate rahenge  hum

saudayion ko tere koyi shaghl chahiye
teri gali mein khaaq udaate rahenge hum

Shayad hamare haal pe aaye unhe taras 
rudaad-e-gham unhi ko Sunate rahenge hum 

bhata nahi'n tumhara khafa hona har ghadi 
kab tak batao tumko manaate rahenge hum 

nafrat ka dour de na sake ga kabhi  shikast.. 
 insaniyet ka paath padate rahenge hum

 . tahna guzar gaya siya  Mausam bahar ka 
Yado'n mein unki  ashk bahaate rahe'nge hum.\

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