तारीकी ए हयात मिटाते रहेंगे हम
माज़ी से अपने रोशनी पाते रहेंगे हम
ज़ख़्मों से जिस्म ओ जाँ को सजाते रहेंगे हम
ता - उम्र तेरे नाज़ उठाते रहेंगे हम
सौदाइयों को तेरे कोई शग़ल चाहिए
तेरी गली में ख़ाक़ उड़ाते रहेंगे हम
शायद हमारे हाल पे आये उन्हें तरस
रूदाद ए ग़म उन्ही को सुनाते रहेंगे हम
भाता नहीं तुम्हारा खफ़ा होना हर घडी
कब तक बताओ तुमको मनाते रहेंगे हम
नफरत का दौर दे न सकेगा कभी शिकस्त
इंसानियत का पाठ पढ़ाते रहेंगे हम
तनहा गुज़र गया सिया मौसम बहार का
यादों में उनकी अश्क़ बहाते रहेंगे हम
Taareeki-e-hayaat mitaate rahenge hum
maazi se apne roshni paate rahenge hum
zakhmo'n se jism o jaa.n ko sajate rahenge ham
ta -umr tere naaz uthate rahenge hum
saudayion ko tere koyi shaghl chahiye
teri gali mein khaaq udaate rahenge hum
Shayad hamare haal pe aaye unhe taras
rudaad-e-gham unhi ko Sunate rahenge hum
bhata nahi'n tumhara khafa hona har ghadi
kab tak batao tumko manaate rahenge hum
nafrat ka dour de na sake ga kabhi shikast..
insaniyet ka paath padate rahenge hum
. tahna guzar gaya siya Mausam bahar ka
Yado'n mein unki ashk bahaate rahe'nge hum.\
हृदयस्पर्शी
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