रिक्त हुआ है मन का आँगन
रिश्तों के सूखे है उपवन
महज़ औपचारिकता बरतें
कहाँ दिलों में है अपनापन
चकनाचूर हुए है सपनें
छलनी छलनी है मेरा मन
इक तूफ़ान उठा है दिल में
अश्क़ों से भीगा है दामन
उनको दर्द सुनाये क्योंकर
पत्थर जैसा है जिनका मन
ऐसे भी कुछ क्षण आते हैं
मुश्किल हो जाता है जीवन
रिश्तों के सूखे है उपवन
महज़ औपचारिकता बरतें
कहाँ दिलों में है अपनापन
चकनाचूर हुए है सपनें
छलनी छलनी है मेरा मन
इक तूफ़ान उठा है दिल में
अश्क़ों से भीगा है दामन
उनको दर्द सुनाये क्योंकर
पत्थर जैसा है जिनका मन
ऐसे भी कुछ क्षण आते हैं
मुश्किल हो जाता है जीवन
वाह !
ReplyDeleteकृपया निम्नानुसार कमेंट बॉक्स मे से वर्ड वैरिफिकेशन को हटा लें।
इससे आपके पाठकों को कमेन्ट देते समय असुविधा नहीं होगी।
Login-Dashboard-settings-posts and comments-show word verification (NO)
अधिक जानकारी के लिए कृपया निम्न वीडियो देखें-
http://www.youtube.com/watch?v=VPb9XTuompc