ख़ुदा करे मेरी मंज़िल का ये इशारा हो
यूं लग रहा है किसी ने मुझे पुकारा हो
यूं लग रहा है किसी ने मुझे पुकारा हो
नज़र जमाये हुवे हूँ भटक नहीं सकती
अँधेरी शब है ,तुम्हीं रहनुमा सितारा हो
अँधेरी शब है ,तुम्हीं रहनुमा सितारा हो
उलझती रहती हूँ तन्हाइयों से ख़ुद अपनी
तो कैसे साथ किसी का मुझे ग़वारा हो
तो कैसे साथ किसी का मुझे ग़वारा हो
सबक़ लिया है गुज़िश्ता ख़ताओं से अपनी
ख़्याल रखती हूँ धोखा न फिर दुबारा हो
ख़्याल रखती हूँ धोखा न फिर दुबारा हो
मैं उसको देख के पत्थर की हो चुकी जैसे
वो मेरी आँख में ठहरा हुआ नज़ारा हो
वो मेरी आँख में ठहरा हुआ नज़ारा हो
कभी तो ख़त्म सराबों का हो सफर या रब
मैं मौज हूँ तो मेरा तू ही बस किनारा हो
मैं मौज हूँ तो मेरा तू ही बस किनारा हो
मैं अपना राख सा जीवन टटोलती हूँ सिया
कहीं दबा कोई एहसास का शरारा हो
कहीं दबा कोई एहसास का शरारा हो
khuda kare meri manzil ka ye ishara ho
.yoon lag raha hai kisi ne mujhe pukara ho
.yoon lag raha hai kisi ne mujhe pukara ho
nazar jamaye huve hoon .bhatak nahi'n sakti
andheri shab hai,. tum hi rahenuma sitara ho
andheri shab hai,. tum hi rahenuma sitara ho
ulajhti rahti hoon tanhaiyon se khud apni
to kaise saath kisi ka mujhe gawara ho
to kaise saath kisi ka mujhe gawara ho
sabaq liya hai guzishta khatao'n se main ne
khayal rakhti hoon .dhoka na phir dobara ho
khayal rakhti hoon .dhoka na phir dobara ho
main usko dekh ke pathar ki hohi chuki jaise ...
wo meri aankh me thahra huwa nazara ho
wo meri aankh me thahra huwa nazara ho
kabhi to khtam saraabo'n ka ho safar ya rab
main mauj hoon to mera tu hi bus kinaara ho
main mauj hoon to mera tu hi bus kinaara ho
main apna raakh sa jeevan tatolati hoon siya
kaheen daba koyi ehsas ka sharara ho
kaheen daba koyi ehsas ka sharara ho
आपकी इस अभिव्यक्ति की चर्चा कल रविवार (20-04-2014) को ''शब्दों के बहाव में'' (चर्चा मंच-1588) पर भी होगी!
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुती,आभार आपका।
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