वो दिल जो तेरी याद से बेज़ार नहीं है
दुनिया के तमाशों में गिरफ्तार नहीं है
इस दौर में तो बर्फ की मानिंद हैं रिश्ते
गर्मी भी नहीं दिल में कोई प्यार नहीं है
गर्मी भी नहीं दिल में कोई प्यार नहीं है
अल्फाज़ से तुमने मेरे दिल के किये टुकड़े
हाँ हाथ में बेशक कोई हथियार नहीं है
औरत की तो सब अग्नि परीक्षा के है तालिब
कोई भी मगर राम सा किरदार नहीं है
घर को भी मेरे चाहिए एक धूप का टुकड़ा
भाती मुझे ऊँची तेरी दीवार नहीं है
जाड़े में ठिठुरते हुए फुटपाथ पे सोयें
कितने है जिनका कोई भी घरबार नहीं है
सस्ती है पसीने से सिया शायरी मेरी
ग़ज़लों का मेरी कोई खरीदार नहीं है ...
wo dil jo teri yaad se bezaar nahin hai
हाँ हाथ में बेशक कोई हथियार नहीं है
औरत की तो सब अग्नि परीक्षा के है तालिब
कोई भी मगर राम सा किरदार नहीं है
घर को भी मेरे चाहिए एक धूप का टुकड़ा
भाती मुझे ऊँची तेरी दीवार नहीं है
जाड़े में ठिठुरते हुए फुटपाथ पे सोयें
कितने है जिनका कोई भी घरबार नहीं है
सस्ती है पसीने से सिया शायरी मेरी
ग़ज़लों का मेरी कोई खरीदार नहीं है ...
wo dil jo teri yaad se bezaar nahin hai
duniya ke tamashoN mein girftaar nahi hai
alfaz se tumne mere dil ke kiye tukde
haan hath mein beshaq koi hathiyaar nahiN hai
aurat ki to sab agni prekcha ke hai talib
koyi bhi magar raam sa qirdaar nahiN hai
ghar ko bhi mere chahiye ek dhoop ka tukda
bhati mujhe unchi tiri deewar nahiN hai
jaade mein thithurteN hue footpath pe soyen
kitne hai jinka koyi gharbaar nahiN hai
sasti hai paseene se siya shayari meri
ghazlon ka meri koi khareedar nahi hai
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