वो अपना है पराया तो नहीं है
मुझे दिल से निकाला तो नहीं है
मुझे दिल से निकाला तो नहीं है
तुम्हारे दिल तलक आऊं तो कैसे
ये कोई आम रस्ता तो नहीं है
तुम्हारे अक्स जैसा कोई चेहरा
मेरी आँखों में ठहरा तो नहीं है
ग़लतफ़हमी दिलो में है यक़ीनन
मगर रिश्ता ये टूटा तो नहीं है
बहुत चर्चे हैं उसकी सादगी के
मगर वो शख्स अच्छा तो नहीं है
वो मेरा दर्द समझे भी तो कैसे
मेरे जैसा वो तन्हा तो नहीं है
मेरे जैसा वो तन्हा तो नहीं है
मिलेगी उसको भी एक रोज़ मंज़िल
थका ही है वो भटका तो नहीं है
है जीने के लिए पैसा ज़रूरी
मगर सब कुछ ही पैसा तो नहीं है
मैं फिर से गूँथ लूँगी हार अपना
वो टूटा है प बिखरा तो नहीं है
बहुत ही साफ़ है दिल सच में उसका
सिया का घर है गन्दा तो नहीं है
है दुनिया खूबसूरत तो सिया ये
मेरे दिल की तमन्ना तो नहीं है
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