Saturday 14 September 2013

नफरतों का सराब मत पूछो

हाल दिल का खराब मत पूछो 
याद करना अज़ाब मत पूछो 

जिंदगी का निसाब मत पूछो 
नफरतों का सराब मत पूछो 

अब तो कोई कशिश नहीं बाकी 
मेरा अहद ए शबाब मत पूछो 

चश्म ए तर राज़ सारा कह देगी 
दर्द ओ ग़म का हिसाब मत पूछो

किस खता की सज़ा मिली है मुझे
क्या मैं दूंगी जवाब मत पूछो

बेरुखी की ये इन्तेहा थी बस
तल्ख़ इसका जवाब मत पूछो

मुद्दतों लग गई समझने में
रुख पे कितने नक़ाब मत पूछो

हुक्मरानों के आगे इक न चली
कितना खाना खराब मत पूछो

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