दिल उदास आँखे है नम
छेड़ो दर्द भरी सरगम
तेरे नाम को सुनते ही
कर लेती हूँ हर्द्यंगम
अर्थहीन सी रचना है
क़ाबू से बाहर हैं ग़म
जीवन रूपी सागर की
राह हुई कितनी दुर्गम
क्या यथार्थ है जीवन का
मन में यहीं पलें है भ्रम
दिन के उजियारे में भी
चंहुदिश फैल गया है तम
धधक रहीं कितनी लाशें
चारों ओर मचा मातम ,
आई घड़ी आपदा की
संज्ञा-शून्य हुए है हम...
छेड़ो दर्द भरी सरगम
तेरे नाम को सुनते ही
कर लेती हूँ हर्द्यंगम
अर्थहीन सी रचना है
क़ाबू से बाहर हैं ग़म
जीवन रूपी सागर की
राह हुई कितनी दुर्गम
क्या यथार्थ है जीवन का
मन में यहीं पलें है भ्रम
दिन के उजियारे में भी
चंहुदिश फैल गया है तम
धधक रहीं कितनी लाशें
चारों ओर मचा मातम ,
आई घड़ी आपदा की
संज्ञा-शून्य हुए है हम...
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