हौसलों में अगर कमी होगी
कितनी दुश्वार जिंदगी होगी
ऐसी दुनिया तलाश करती हूँ
नेक बन्दों से जो बसी होगी
धन्य है माँ वो जिसने बच्चों को
सीख इंसानियत कि दी होगी
जाके ससुराल दुःख सहा उसने
अपने बाबा की लाड़ली होगी
छिन गयी है मेरे लबों से हँसी
बद्दुआ किसकी ये लगी होगी..
इतनी उम्मीद काहे दुनिया से
ये भला कब तेरी सगी होगी
आज से होंठ सी लिए मैंने
अब मेरे ग़म में भी कमी होगी
ग़म का मातम मनाऊ भी कितना
ये तो किस्तों में ख़ुद कुशी होगी
मेरी तस्वीर पे जमी कब से
धूल आँचल से पोंछती होगी
बूढी माँ का जो दिल दुखाया था
कैसे जीवन में फिर ख़ुशी होगी
ये सियासत लड़ाके आपसे में
बीज नफ़रत के बो रही होगी
माँ सिया आज बहुत याद आये
आज आँखों में फिर नमी होगी
कितनी दुश्वार जिंदगी होगी
ऐसी दुनिया तलाश करती हूँ
नेक बन्दों से जो बसी होगी
धन्य है माँ वो जिसने बच्चों को
सीख इंसानियत कि दी होगी
जाके ससुराल दुःख सहा उसने
अपने बाबा की लाड़ली होगी
छिन गयी है मेरे लबों से हँसी
बद्दुआ किसकी ये लगी होगी..
इतनी उम्मीद काहे दुनिया से
ये भला कब तेरी सगी होगी
आज से होंठ सी लिए मैंने
अब मेरे ग़म में भी कमी होगी
ग़म का मातम मनाऊ भी कितना
ये तो किस्तों में ख़ुद कुशी होगी
मेरी तस्वीर पे जमी कब से
धूल आँचल से पोंछती होगी
बूढी माँ का जो दिल दुखाया था
कैसे जीवन में फिर ख़ुशी होगी
ये सियासत लड़ाके आपसे में
बीज नफ़रत के बो रही होगी
माँ सिया आज बहुत याद आये
आज आँखों में फिर नमी होगी
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