उससे किस तरह कहें आज भला दिल की बात
ज़िन्दगी भर जो ना समझा कभी मेरे जज़्बात
दिल पे नश्तर सी लगे जाके तेरी कडवी बात
क्या मिलेगा तुम्हे यूँ करके मिरे दिल पे घात
जागने की तुझे आदत है स्याह रातों में
हाँ मगर सो ही गए है तेरे दिल के जज़्बात
न तो दिन की ही ख़ुशी है न ही ग़म रातों का
ज़िन्दगी भर जो ना समझा कभी मेरे जज़्बात
दिल पे नश्तर सी लगे जाके तेरी कडवी बात
क्या मिलेगा तुम्हे यूँ करके मिरे दिल पे घात
जागने की तुझे आदत है स्याह रातों में
हाँ मगर सो ही गए है तेरे दिल के जज़्बात
न तो दिन की ही ख़ुशी है न ही ग़म रातों का
एक जैसे ही मुझे लगने लगे हैं दिन रात
मैंने बरसों से जिसे दिल में छुपाये रक्खा
घुट न जाए मिरे सीने में मिरे दिल की बात
इक बेचैनी सी रहती है मिरे सीने में
मुझको बेचैन किये रहते हैं तेरे सदमात
जिस क़दर लोगों ने आसूदा समझ रक्खा है
उतने अच्छे भी नहीं दोस्तों मेरे हालात
इतनी जल्दी न कहो मुझसे ख़ुदा हाफ़िज़ तुम
कितनी मुद्दत में मयस्सर हुई ग़म की सौगात
मेहरबां रहता है हर वक्त सिया मेरा ख़ुदा
मैं भी करती हूँ दुआ सर पे रहे उसका हाथ
मैंने बरसों से जिसे दिल में छुपाये रक्खा
घुट न जाए मिरे सीने में मिरे दिल की बात
इक बेचैनी सी रहती है मिरे सीने में
मुझको बेचैन किये रहते हैं तेरे सदमात
जिस क़दर लोगों ने आसूदा समझ रक्खा है
उतने अच्छे भी नहीं दोस्तों मेरे हालात
इतनी जल्दी न कहो मुझसे ख़ुदा हाफ़िज़ तुम
कितनी मुद्दत में मयस्सर हुई ग़म की सौगात
मेहरबां रहता है हर वक्त सिया मेरा ख़ुदा
मैं भी करती हूँ दुआ सर पे रहे उसका हाथ
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