ग़ज़ल
ऐ हमारी ज़िन्दगी तूने दिए ग़म बेशुमार
फिर भी हम तुझसे करते जा रहे हैं प्यार
है उदासी ही उदासी आजकल क्यूं चारसू
साथ दे जो आप तो मौसम भी हो खुशगवार
क्या गमो की दास्तां ऐसी भी होती है भला
फ़ूल बस इक शाख पर है और हैं कांटे हज़ार
मैं तड़पती रह गई याद में उसकी मगर
लूट कर वो जा चुका है चैन और सब्रो-क़रार
इस ज़मीं से आस्मां तक कोई भी अपना नहीं
हाँ मुझे अब रास भी आती नहीं आख़िर बहार
ए "सिया"कोई तो हो तेरा भी इस जहां में
जो मुझे आकर सम्हाले और हो जाये निसार
ऐ हमारी ज़िन्दगी तूने दिए ग़म बेशुमार
फिर भी हम तुझसे करते जा रहे हैं प्यार
है उदासी ही उदासी आजकल क्यूं चारसू
साथ दे जो आप तो मौसम भी हो खुशगवार
क्या गमो की दास्तां ऐसी भी होती है भला
फ़ूल बस इक शाख पर है और हैं कांटे हज़ार
मैं तड़पती रह गई याद में उसकी मगर
लूट कर वो जा चुका है चैन और सब्रो-क़रार
इस ज़मीं से आस्मां तक कोई भी अपना नहीं
हाँ मुझे अब रास भी आती नहीं आख़िर बहार
ए "सिया"कोई तो हो तेरा भी इस जहां में
जो मुझे आकर सम्हाले और हो जाये निसार
क्या गमो की दास्तां ऐसी भी होती है भला
ReplyDeleteफ़ूल बस इक शाख पर है और हैं कांटे हज़ार
bahut sunder bhaav
ajmani ph 9993861181
agar aap ka dil kare to call ya msg bhejiye