Sunday 24 July 2011

तू है मेरा तो फासिला क्यूं है


इक उदासी का सिलसिला क्यूं है 
तू है मेरा तो फासिला क्यूं  है 

हिज्र में तेरे रात-दिन की तड़प 
इस मुहब्बत का ये सिला क्यूं है 

मेरी क़िस्मत को सोचती हूँ मैं 
तुझसा बेदर्द ही मिला क्यूं है 

जब कोई वास्ता नहीं बाहम 
तेरी यादों का काफिला क्यूं है 

राह कोई हो, पार कर लेंगे 
आज दिल में ये हौसला क्यूं है 

जिस्म में रूह यूँ लगे है "सिया" 
दश्ते वीरां में ये किला क्यूं है 

1 comment:

  1. बहुत सुंदर

    जब कोई वास्ता नहीं बाहम
    तेरी यादों का काफिला क्यूं है

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