हमने काँटों पे चलने का सफ़र सीखा है
आग पानी में लगाने का हुनर सीखा है
तुम हवा के गरम झोंके से भी घबराते हो
हमने मर मर के ,जीने का हुनर सीखा है
कोई उम्मीद लगाना नहीं किसी से कभी
लब पे शिकवा ना लाने का हुनर सीखा है
चोट खाकर भी अब एहसासे_ग़म नहीं होता
हस के अश्को को छुपाने का हुनर सीखा है
अपनी ही धुन में , अपने आप ही में गुम है
हमने भी बच के गुजरने का हुनर सीखा है
जहाँ की रौनके मुझको ना रास आती है
हमने तन्हाई में रहने का हुनर सीखा है
सिया
हमने काँटों पे चलने का सफ़र सीखा है
ReplyDeleteआग पानी में लगाने का हुनर सीखा है
तुम हवा के गरम थपेड़े से भी घबरा जाओ
हमने मर मर के जीने का हुनर सीखा है
motivated karti ye panktiyaan taarife kaabil hai
siya ji mujhe ghazal ki basic jaankaari radif kaafia matla maatra laiy aadi hetu koi kitaab ho to sugesst kariye meter me ghazal nahi banti
meri ghazle padhkar aap meri help kariye aapki meharbaani hogi
ajmani61181.blogspot.com