इतनी कड़वाहट घुली है रिश्तो में
ज़हर ये फिर भी पिया करते है
ये जिंदगी बेसबब से लगे
जाने क्यों फिर भी जिया करते है
मेरे दामन में फूल हैं भी कहा
ज़ख्म काँटों से सिया करते है
बात गैर की हो तो सह भी ले
दर्द अपने ही दिया करते है
इस कदर होती हैं सीने में चुभन
कैसे हम सब्र किया करते है
siya...
ज़हर ये फिर भी पिया करते है
ये जिंदगी बेसबब से लगे
जाने क्यों फिर भी जिया करते है
मेरे दामन में फूल हैं भी कहा
ज़ख्म काँटों से सिया करते है
बात गैर की हो तो सह भी ले
दर्द अपने ही दिया करते है
इस कदर होती हैं सीने में चुभन
कैसे हम सब्र किया करते है
siya...
No comments:
Post a Comment