ऐ खुदाया ऐ मेरे परवर बता
आदमी क्यूं हो गया पत्थर बता
तू समंदर है मुझे ये इल्म है
मैं भी हूँ दरिया मुझे पीकर बता
हर तरफ ऊंची इमारत हैं फ़क़त
तू मुझे इंसान का इक घर बता
क्या अभी इंसान है मुझमें कोई
दिल को मेरे बस यही छूकर बता
लोग तो सब फ़ूल लेकर चल दिए
क्यूं मेरे हिस्से में हैं नश्तर बता.
सिया
आदमी क्यूं हो गया पत्थर बता
तू समंदर है मुझे ये इल्म है
मैं भी हूँ दरिया मुझे पीकर बता
हर तरफ ऊंची इमारत हैं फ़क़त
तू मुझे इंसान का इक घर बता
क्या अभी इंसान है मुझमें कोई
दिल को मेरे बस यही छूकर बता
लोग तो सब फ़ूल लेकर चल दिए
क्यूं मेरे हिस्से में हैं नश्तर बता.
सिया
"हर तरफ ऊंची इमारत हैं फ़क़त
ReplyDeleteतू मुझे इंसान का इक घर बता"
बहुत बढ़िया...
तू समंदर है मुझे ये इल्म है
ReplyDeleteमैं भी हूँ दरिया मुझे पीकर बता
लोग तो सब फ़ूल लेकर चल दिए
क्यूं मेरे हिस्से में हैं नश्तर बता.
wah bahut khub likha hai aapne
aabhaar shubhkaamnaaye
aisa hi likhte rahe
kyaa baat hai siya di.........loved it
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