मौला मेरे मौला सहारा मुझे दे
कश्ती हूँ भटकी किनारा मुझे दे
तेरी इबादत अंधेरों में की है
रोशन दिलों का नज़ारा मुझे दे
उजाले किये जिसने घर घर में जाकर
वो इक आसमां का सितारा मुझे दे
तुझसे मेरी इक यही इल्तेजा है
तू रहमत का अपनी इशारा मुझे दे
संभालुंगी उस दर्दो-ग़म को जतन से
गरीबों का ग़म दर्द सारा मुझे दे
बदल दूँ मैं दुनिया की सब उल्टी रीतें
जादू का कोई पिटारा मुझे दे
मैं सौगात समझूंगी तेरी खुदाया
कमी में भी हंस के गुज़ारा मुझे दे
सिया
सुन्दर प्रार्थना
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